
mRNA Based Cancer Vaccine: रूस के वैज्ञानिक लंबे समय से कैंसर वैक्सीन बनाने पर काम कर रहे हैं। अब उनके हाथ नई कामयाबी लगी है। रूस की फेडरल मेडिकल एंड बायोलॉजिकल एजेंसी (FMBA) ने कैंसर की वैक्सीन तैयार कर ली है। एजेंसी की प्रमुख वेरोनिका स्क्वोर्त्सोवा के मुताबिक, mRNA-बेस्ड इस वैक्सीन ने अब तक के सभी प्री-क्लिनिकल टेस्ट में कामयाबी हासिल की है और ये वैक्सीन अब इस्तेमाल के लिए पूरी तरह तैयार है।
रशियन न्यूज एजेंसी TASS की रिपोर्ट्स के मुताबिक, शुरुआत में इस वैक्सीन का इस्तेमाल कोलोरेक्टल यानी (कोलन कैंसर) के लिए होगा, जिसे बड़ी आंत का कैंसर भी कहते हैं। इसके अलावा, ग्लियोब्लास्टोमा (ब्रेन कैंसर) और कुछ खास तरह के मेलेनोमा, जिनमें ऑक्यूलर मेलेनोमा (आंख का कैंसर) के लिए टीके को और अधिक डेवलप किए जाने पर काम कर रहे हैं। आने वाले वक्त में इसमें बड़ी कामयाबी मिलने वाली है।
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स्क्वॉर्त्सोवा के मुताबिक, इस वैक्सीन पर कई सालों से काम चल रहा था, जिसमें पिछले तीन साल से सिर्फ प्री-क्लिनिकल ट्रायल पर जोर दिया गया। इस दौरान देखा गया कि वैक्सीन ट्यूमर (गांठ) के साइज को 80% तक कम करने में कारगर साबित हुई है, जिससे कैंसर को रोकने मरीजों की जान बचाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा एक से ज्यादा बार देने के बाद भी ये पूरी तरह सेफ है।
mRNA टेक्नीक को मैसेंजर-RNA भी कहते हैं। ये जेनेटिक कोड का एक छोटा सा हिस्सा है, जो हमारी सेल्स (कोशिकाओं) में प्रोटीन बनाती है। उदारहण के लिए जब भी कोई वायरस या बैक्टीरिया हमारे शरीर पर अटैक करता है, तो mRNA तकनीक हमारी कोशिकाओं को उस वायरस या बैक्टीरिया से लड़ने के लिए एक खास तरह का प्रोटीन बनाने का संदेश भेजती है। इससे हमारा इम्यून सिस्टम उस जरूरी प्रोटीन को बनाता है और उस प्रोटीन से हमारे शरीर में उस वायरस को पहचानने और खत्म करने के लिए पर्याप्त एंटीबॉडी बन जाती है।
mRNA टेक्नीक को बनाने का श्रेय हंगरी की फिजियोलॉजिस्ट कैटलिन कारिको को जाता है। उनका जन्म 17 अक्टूबर 1955 को हंगरी के जोलनोक (Szolnok) में हुआ था। उन्होंने कई सालों तक हंगरी की सेज्ड यूनिवर्सिटी में RNA पर काम किया। इसके बाद अमेरिका आ गईं, जहां पेन्सिल्वेनिया यूनिवर्सिटी में mRNA टेक्नोलॉजी पर स्टडी शुरू की। वैसे, mRNA की खोज तो 1961 में हो गई थी, लेकिन साइंटिस्ट अब भी इसके जरिए ये खोजने की कोशिश में लगे थे कि आखिर इससे शरीर में प्रोटीन कैसे बन सकता है? इसी बीच, 1997 में पेन्सिल्वेनिया यूनिवर्सिटी में मशहूर इम्युनोलॉजिस्ट ड्रू विसमैन आए। बाद में कारिको और विसमैन ने इस तकनीक पर मिलकर काम शुरू किया। 2005 में विसमैन और कारिको का एक रिसर्च पेपर पब्लिश हुआ, जिसमें दावा किया कि mRNA के जरिए इम्युनिटी बढ़ाकर कई तरह की बीमारियों पर असरकारक वैक्सीन बनाई जा सकती है।
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