रूस की ये कैसी नैतिकता: महिलाओं और बच्चों पर सैनिकों ने बरसाई गोलियां, बच्चा समेत सात महिलाओं की हत्या

कीव के पास स्थित एक गांव पेरेमोगा (Peremoga) को खाली कराया जा रहा था। यहां फंसे गांववालों को निकाला जा रहा था। लोगों को निकालने के लिए दोनों ओर से सहमति बनी थी और एक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया था। इसी के माध्यम से महिलाओं और बच्चों को गांव से निकाला जा रहा था। 

कीव। यूक्रेन (Ukraine) पर हमले के दौरान रूस (Russia) एक तरफ नागरिकों को किसी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाने का दावा कर रहा है तो दूसरी ओर रूसी सेना (Russian Troops)  पर महिलाओं और बच्चों की हत्या का आरोप लग रहे हैं। यूक्रेन की सैन्य खुफिया सेवा ने शनिवार को कहा कि रूसी सैनिकों ने कीव के पास एक गांव से बाहर निकल रहीं महिलाओं और बच्चों के एक समूह पर गोली चलाई। इस गोलीबारी में सात की मौत हो गई। मरने वालों में एक बच्चा भी शामिल था।

सहमति से ग्रीन कॉरिडोर बना था...

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दरअसल, कीव के पास स्थित एक गांव पेरेमोगा (Peremoga) को खाली कराया जा रहा था। यहां फंसे गांववालों को निकाला जा रहा था। लोगों को निकालने के लिए दोनों ओर से सहमति बनी थी और एक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया था। इसी के माध्यम से महिलाओं और बच्चों को गांव से निकाला जा रहा था। महिलाएं और बच्चों का एक समूह गांव से निकल रहा था, उसी समय रूसी सेना ने फायरिंग शुरू कर दी और सात निर्दोषों को मौत के घाट उतार दिया। मरने वालों में महिलाएं और एक बच्चा भी शामिल है। 

यह भी पढ़ेंयूक्रेन के मारियुपोल पोर्ट सिटी को रूसी सेना ने घेरा तो फ्रांस और जर्मनी के राष्ट्रपति युद्ध समाप्ति का करने लगे आग्रह

मारियुपोल की घेराबंदी को समाप्त करने का आग्रह

फ्रांस (France) और जर्मनी (Germany) ने शनिवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से यूक्रेन के बंदरगाह शहर मारियुपोल (Mariupol port city) की घातक घेराबंदी को समाप्त करने का आग्रह किया है। इस तीन तरफा वार्ता में फ्रांस और जर्मनी के राष्ट्र प्रमुखों ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन (Vladimir Putin) से कहा कि मारियुपोल में स्थिति बहुत कठिन और मानवीय रूप से असहनीय है। राष्ट्रपति पुतिन को घेराबंदी हटाने का एकमात्र निर्णय लेना चाहिए।

पुतिन के दावे को मैक्रॉन ने झूठ करार दिया

फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन (Emmanuel Macron) के कार्यालय ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन पर झूठ का आरोप लगाया कि यूक्रेनी बलों ने नागरिकों को मानव ढाल के रूप में उपयोग करके मानवाधिकारों का हनन किया है।

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