
रियाद: सऊदी अरब (Saudi Arab) के विदेश मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि सूडान में गृहयुद्ध के बीच फंसे लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है। इनमें भारत समेत दुनिया के अन्य कई देशों के नागरिक शामिल हैं। युद्ध ग्रस्त सूडान से बाहर निकाले गए लोगों में राजनयिक और अंतर्राष्ट्रीय अधिकारी भी शामिल हैं। इस बात की जानकारी सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ट्वीट के माध्यम से दी। इसके साथ ही सूडान से निकाले गए नागरिकों की संख्या 91 तक पहुंच गई।
सऊदी अरब ने कुवैत, कतर, संयुक्त अरब अमीरात, मिस्र, ट्यूनीशिया, पाकिस्तान, भारत, बुल्गारिया, बांग्लादेश, फिलीपींस, कनाडा और बुर्किना फासो के 66 नागरिकों को सूडान से सुरक्षित रूप से बाहर निकाला है।
संघर्ष में अब तक 400 से ज्यादा मरे
बता दें कि इस समय सूडान में सत्ता के लिए सेना और अर्धसैनिक बल रैपिड सपोर्ट फोर्सेज (paramilitary rapid support forces) के बीच संघर्ष जारी है। गृहयुद्ध में अब तक 413 लोगों की अपनी जान गंवानी पड़ी। वहीं, 3,551 लोग घायल हो चुके हैं। हालांकि, RSF ने ईद पर तीन दिन के संघर्ष विराम का ऐलान किया था। वहीं, गृहयुद्ध के बीच सूडान की सेना भी दूसरे देश के नागरिकों की सुरक्षित निकालने के लिए तैयार हो गई।
विदेशी नागरिकों की निकासी के लिए हवाईअड्डे खोले
संघर्ष विराम (Ceasefire) के दौरान विदेशी नागरिकों की सुरक्षित निकासी के लिए हवाई अड्डों को खोल दिया गया है। सूडान की सेना की ओर से शनिवार को जारी बयान में कहा गया था कि अमेरिका समेत अन्य देश आगामी कुछ घंटों में अपने नागरिकों को खर्तूम से सुरक्षित बाहर निकाल सकते हैं।
2021 में मिलकर किया था तख्तापलट
हैरान करने वाली बात यह है कि जनरल अब्देल और लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद हमदान अक्टूबर 2021 में तख्तापलट के लिए दोनों गुट एक साथ लड़े थे। ऐसे में सवाल उठता है लेकिन 2 साल के भीतर ऐसा क्या हुआ, मिलकर सत्ता हासिल करने वाले दोनों गुट आज एक दूसरे के ही सामने आ गए। दरअसल, तख्तापलट के बाद देश की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर हुआ और नागरिक सरकार लाने की मांग करने लगे। इस दौरान जगह-जगह विरोध प्रदर्शन भी हुए।
सेना के इंटिग्रेशन को लेकर हुआ विवाद
लगातार बढ़ते विरोध के कारण इसके सूडान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ने लगा। इस बीचदोनों जनरलों ने दिसंबर 2022 के एक नागरिक नेतृत्व वाली सरकार को सत्ता वापस सौंपने पर सहमति व्यक्त की,लेकिन दोनों के बीच कुछ मुद्दों पर बहस हुई। विशेष रूप से सेना के इंटिग्रेशन को लेकर।
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