सार
सूडान के अर्धसैनिक बल रैपिड सपोर्ट फोर्सेज ने 72 घंटे के युद्ध विराम का ऐलान किया है। हालांकि, सेना की ओर से युद्ध विराम को लेकर कोई जानकारी सामने नहीं आई है।
खर्तूम: सूडान के अर्धसैनिक बल रैपिड सपोर्ट फोर्सेज (RSF) ने घोषणा की है कि वह राजधानी खार्तूम में सेना के साथ जारी लड़ाई के बावजूद युद्ध विराम जारी रखेगा। आरएसएफ ने एक बयान में कहा कि वह 72 घंटे के युद्धविराम का पालन करेगा,जो शुक्रवार को सुबह 6 बजे से प्रभावी होगा। युद्ध विराम का फैसला ईद-उल फितर को देखते हुए लिया गया है। हालांकि, सेना ने युद्ध विराम को लेकर कोई जानकारी नहीं दी है।
बयान में कहा गया है कि युद्ध विराम ईद-उल-फितर के मौके पर किया जा रहा और ऐसे में नागरिकों को बाहर निकालने के लिए मानवीय गलियारे खोल दिए जांएगे और लोग परिवारों को बधाई दे सकेंगे। गौरतलब है कि सूडान में पिछले हफ्ते सेना और अर्धसैनिक बलों के बीच लड़ाई शुरू हो गई थी। इससे पहले शुक्रवार तड़के खार्तूम में भारी गोलाबारी हुई। इस दौरान आरएसएफ ने सेना पर व्यापक हमला करने का आरोप लगाया।
अब तक 185 से ज्यादा लोगों की मौत
इसके बाद से ही जनरल अब्देल फतह अल-बुरहान के नेतृत्व वाली सूडानी सेना और लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद हमदान के नेतृत्व वाले एक शक्तिशाली अर्धसैनिक समूह रैपिड सपोर्ट फोर्सेज के बीच जंग छिड़ी हुई है। इसके चलते अब तक 185 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। वहीं 1,800 से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं.
दोनों गुटों ने साथ किया था तख्तापलट
हैरान करने वाली बात यह है कि जनरल अब्देल और लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद हमदान अक्टूबर 2021 में तख्तापलट के लिए दोनों गुट एक साथ लड़े थे। ऐसे में सवाल उठता है लेकिन 2 साल के भीतर ऐसा क्या हुआ, मिलकर सत्ता हासिल करने वाले दोनों गुट आज एक दूसरे के ही सामने आ गए। दरअसल, तख्तापलट के बाद देश की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर हुआ और नागरिक सरकार लाने की मांग करने लगे। इस दौरान जगह-जगह विरोध प्रदर्शन भी हुए।
सेना के इंटिग्रेशन को लेकर हुआ विवाद
लगातार बढ़ते विरोध के कारण इसके सूडान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ने लगा। इस बीचदोनों जनरलों ने दिसंबर 2022 के एक नागरिक नेतृत्व वाली सरकार को सत्ता वापस सौंपने पर सहमति व्यक्त की,लेकिन दोनों के बीच कुछ मुद्दों पर बहस हुई। विशेष रूप से सेना के इंटिग्रेशन को लेकर।
दोनों गुटों के बीच हिंसा
रिपोर्ट के मुताबिक सेना के अंदर के कट्टरपंथी चाहते थे कि रैपिड सपोर्ट फोर्स को दो साल के अंदर भंग कर दी जाए। हालांकि, रैपिड सपोर्ट फोर्स के लीडर इसके लिए तैयार नहीं थे। आगे चलके यह मामला इतना बढ़ गया दोनों गुटों के बीच जंग छिड़ गई।