श्रीलंका से एशियानेट न्यूज की रिपोर्ट: इस्तीफा नहीं तो संसद पर होगा कब्जा, सेल्फी प्वाइंट बना राष्ट्रपति भवन

श्रीलंका अब तक के सबसे बुरे राजनैतिक और आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। जनता के गुस्से का आलम यह है कि नेता घरों से बाहर नहीं निकल रहे हैं। वहीं आम लोगों की जिंदगी दुश्वार हो गई है। महंगाई चरम पर है और भोजन की समस्या भी पैदा हो गई है।

कोलंबो. श्रीलंका के राजनैतिक और आर्थिक हालात इतने बुरे हो जाएंगे, इसकी कल्पना शायह ही किसी ने की होगी। हालात इस कदर बेकाबू हो चुके हैं कि आम जनता राष्ट्रपति भवन पर कब्जा जमा चुकी है। प्रधानमंत्री आवास को भी आग लगा दी गई। राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे देश छोड़कर मालदीव पहुंच गए हैं। प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंगघे ने पीएम पद से इस्तीफा दे दिया है। देश में महंगाई की हालत यह है कि आलू-प्याज जैसी सब्जियां भी लोग नहीं खरीद पा रहे हैं। ऐसे हालात का जायजा लेने के लिए एशियानेट टीम ग्राउंड जीरो पर मौजूद है, जो बता रहे हैं कि यहां लोग किस तरह से संकट का सामना कर रहे हैं...

राष्ट्रपति भवन के भीतर जाने के लिए लंबी कतार
श्रीलंकाई राष्ट्रपति कार्यालय के सामने का ऐतिहासिक स्थल इस समय मुख्य विरोध स्थल बन गया है। यहां पर दिन भर लोगों की भीड़ जुटती है। लोगों की लंबी-लंबी लाइनें राष्ट्रपति भवन में जाने के लिए लगी हैं। कभी यह एरिया सबसे सुरक्षित स्थानों में से एक माना जाता था लेकिन अब यहां लोगों की भीड़ पहुंच रही है। लोग अंदर जा रहे हैं, इंजाय कर रहे हैं, फोटो और सेल्फी ले रहे हैं। 

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क्या कहते हैं प्रदर्शनकारी
राष्ट्रपति भवन के सामने विरोध प्रदर्शन कर रही महिला ने कहा कि वे राष्ट्रपति गोटाबाया के इस्तीफे का वेट कर रहे क्योंकि हमने बहुत तकलीफें झेल ली हैं। महिला ने कहा कि हम 96 दिनों से प्रोटेस्ट कर रहे हैं, यही रहते हैं, यहीं खाते हैं, यहीं सोते हैं क्योंकि हमारे पास आफिस जाने के लिए पेट्रोल नहीं है। हमने 3 महीने से अपने पैरेंट्स को भी नहीं देखा क्योंकि वे दूर रहते हैं और वहां जाने के लिए पेट्रोल नहीं है। अगर वे अब भी इस्तीफा नहीं देते हैं तो हम पार्लियामेंट जाएंगे और उस पर भी कब्जा करेंगे। क्योंकि अब बहुत हो चुका, हमें देश को बचाना है। 

ग्राउंड जीरो पर क्या है स्थिति

नई सरकार पर क्या कह रहे लोग
नई सरकार निश्चित तौर पर देश के लिए काम करेगी क्योंकि राजपक्षे परिवार ने देश को बंधक बना दिया था। हमें उम्मीद है कि देश में नई सरकार आने के बाद स्थितियां सामान्य होंगी। वहीं विरोध प्रदर्शन कर रहे एक अन्य व्यक्ति ने बताया कि हम तब तक नहीं हटेंगे, जब तक कि सरकार के सभी लोग इस्तीफा नहीं दे देते। उन्होंने कहा कि इस्तीफा नहीं हुआ तो संसद का भी घेराव करेंगे और वहां भी कब्जा किया जाएगा। 

गंभीर आर्थिक व राजनैतिक संकट से जूझ रहा श्रीलंका
22 मिलियन लोगों का देश श्रीलंका गंभीर संकट के दौर से गुजर रहा है। पिछले कुछ महीनों में हालात खराब ही हुए हैं। श्रीलंका विदेशी मुद्रा की कमी से जूझ रहा है, जिसने ईंधन, भोजन और दवा के आवश्यक आयात को सीमित कर दिया गया है। पिछले सात दशकों में सबसे खराब वित्तीय उथल-पुथल है। कई लोग देश की खराब स्थिति के लिए राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। मार्च के बाद से बड़े पैमाने पर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों ने उनके इस्तीफे की मांग की है। हाल के हफ्तों में असंतोष और बढ़ गया है क्योंकि नकदी की कमी वाले देश ने ईंधन शिपमेंट प्राप्त करना बंद कर दिया है, स्कूलों को बंद करने और आवश्यक सेवाओं के लिए पेट्रोल और डीजल की राशनिंग के लिए मजबूर किया है। उधर, श्रीलंका अपनी खराब वित्तीय स्थिति की वजह से 2026 तक चुकाए जाने वाले 25 बिलियन अमेरिकी डॉलर कर्ज में से इस साल की किश्त सात बिलियन अमेरिकी डॉलर को चुकाने में असफल रहा। देश का कुल विदेशी कर्ज करीब 51 अरब डॉलर है। 

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