भारत आर्थिक संकट का सामना कर रहे श्रीलंका की मदद कर रहा है। पिछले 24 घंटे में भारत ने श्रीलंका को 76 हजार मिट्रिक टन इंधन दिया है। इसके साथ ही दवाएं भी भारत श्रीलंका भेज रहा है।
कोलंबो। आर्थिक संकट के चलते श्रीलंका इन दिनों मुश्किलों का सामना कर रहा है। डीजल, पेट्रोल और खाने के सामान की कमी के चलते लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार ने देश में इमरजेंसी लगा रखा है। ऐसे मुश्किल वक्त में भारत अपने पड़ोसी देश की भरपूर मदद कर रहा है। श्रीलंका में भारतीय उच्चायोग ने जानकारी दी है कि भारतीय सहायता के तहत 270,000 मीट्रिक टन से अधिक विभिन्न प्रकार के ईंधन की आपूर्ति की गई है।
भारत गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहे श्रीलंका को ईंधन दे रहा है ताकि वह अपनी कुछ तात्कालिक जरूरतों को पूरा कर सके और अपनी घरेलू अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में मदद कर सके। श्रीलंका राजनीतिक उथल-पुथल में डूब गया है। राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे पर इस्तीफा देने का दबाव है। आर्थिक संकट को लेकर उनका विरोध बढ़ गया है।
श्रीलंका भोजन, ईंधन और अन्य आवश्यक चीजों की भारी कमी का सामना कर रहा है। रिकॉर्ड मुद्रास्फीति और बिजली कटौती के चलते 1948 में ब्रिटेन से स्वतंत्रता के बाद से श्रीलंका सबसे खराब आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है। श्रीलंका 2009 में विनाशकारी गृहयुद्ध और 2019 में इस्लामी बम विस्फोटों से हिल गया था। कोविड -19 महामारी से यहां की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई थी। कोरोना ने श्रीलंका के पर्यटन क्षेत्र को बहुत अधिक प्रभावित किया है। यूक्रेन पर रूस के आक्रमण ने पर्यटन उद्योग को एक नया झटका दिया है। इन दोनों देशों से बड़ी संख्या में पर्यटक श्रीलंका आते थे। चीन के कर्ज जाल में फंसने के चलते श्रीलंका को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार 2021 में श्रीलंका पर 35 बिलियन डॉलर का विदेशी कर्ज था। रियायती ऋण के रूप में श्रीलंका के कुल विदेशी ऋण में चीन का हिस्सा लगभग 10 प्रतिशत है।
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दवाएं भी दे रहा भारत
आर्थिक संकट के चलते श्रीलंका में दवाओं की भी कमी हो गई है। दवाओं की कमी के चलते अस्पतालों को मरीजों के इलाज में परेशानी हो रही है। राजधानी कोलंबो भी दवा आपूर्ति की कमी का सामना कर रहा है। भारत श्रीलंका को दवाओं की आपूर्ति कर रहा है। नेशनल आई हॉस्पिटल कोलंबो के निदेशक डॉ दममिका ने कहा कि हमारी अधिकांश दवाएं भारतीय क्रेडिट लाइन के तहत भारत से आ रही हैं। निकट भविष्य में और अधिक आपूर्ति हमारे पास आएगी। यह हमारे लिए एक बड़ी मदद है। मैं समर्थन के लिए भारत को धन्यवाद देता हूं।