श्रीलंका में हालात नियंत्रण के बाहर है। राष्ट्रपति गोटाबया अपना आवास छोड़कर किसी अज्ञात जगह पर हैं। शनिवार को राष्ट्रपति के आवास को भीड़ ने कब्जा कर लिया। प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे का निजी आवास प्रदर्शनकारियों ने आग के हवाले कर दिया। पड़ोसी देश पर भारत लगातार नजर बनाए हुए है और समय समय पर आर्थिक सहायता भी कर रहा है।
नई दिल्ली। श्रीलंका (Sri Lanka economic Crisis) के हालात बेकाबू होने के साथ पड़ोसी देश भी सक्रिय हो चुके हैं। श्रीलंका के हालात को लेकर भारत भी लगातार अपनी नजर बनाए हुए है। भारत ने अपने पड़ोसी देश श्रीलंका की हर संभव मदद की बात कही है। भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची (Arindam Bagchi) ने कहा कि भारत श्रीलंका का सबसे करीबी पड़ोसी है और हमारे दोनों देश गहरे सभ्यतागत बंधन साझा करते हैं।
क्या कहा है विदेश मंत्रालय ने?
अरिंदम बागची ने कहा कि हम उन कई चुनौतियों से अवगत हैं जिनका श्रीलंका और उसके लोग सामना कर रहे हैं, और हम श्रीलंका के लोगों के साथ खड़े हैं क्योंकि उन्होंने इस कठिन दौर से उबरने की कोशिश की है। हमारी नेबरहुड फर्स्ट नीति (neighbourhood first policy) में श्रीलंका केंद्र में है। हम लगातार नजर बनाए हुए हैं। बागची ने कहा कि भारत ने इस वर्ष श्रीलंका में गंभीर आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए 3.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का अभूतपूर्व समर्थन दिया है।
उन्होंने कहा कि हम श्रीलंका में हाल के घटनाक्रमों का बारीकी से अनुसरण करना जारी रखे हैं। भारत श्रीलंका के लोगों के साथ खड़ा है क्योंकि वे लोकतांत्रिक साधनों और मूल्यों, स्थापित संस्थानों और संवैधानिक ढांचे के माध्यम से समृद्धि और प्रगति के लिए अपनी आकांक्षाओं को साकार करना चाहते हैं।
सशस्त्र सेनाओं के समर्थन की अपील
जनरल शैवेंद्र सिल्वा ने श्रीलंकाई लोगों से सशस्त्र बलों और पुलिस का समर्थन करने का अनुरोध किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि देश में शांति बनी रहे क्योंकि प्रदर्शनकारी दो दिनों से कोलंबो में राष्ट्रपति भवन में तोड़फोड़ कर रहे थे। विस्तृत जानकारी के लिए यह पढ़ें...
केरावलपिटिया में पहुंचा रसोई गैस लदा जहाज
रविवार को दोपहर केरावलपिटिया में पहला जहाज पहुंचाा है। इस पर करीब 3700 मिट्रिक टन रसोई गैस लोड है। पढ़ें पूरी खबर...
गंभीर संकट से जूझ रहा देश, 51 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज
22 मिलियन लोगों का देश एक गंभीर विदेशी मुद्रा की कमी से जूझ रहा है, जिसने ईंधन, भोजन और दवा के आवश्यक आयात को सीमित कर दिया गया है। पिछले सात दशकों में सबसे खराब वित्तीय उथल-पुथल है। कई लोग देश की खराब स्थिति के लिए राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। मार्च के बाद से बड़े पैमाने पर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों ने उनके इस्तीफे की मांग की है। हाल के हफ्तों में असंतोष और बढ़ गया है क्योंकि नकदी की कमी वाले देश ने ईंधन शिपमेंट प्राप्त करना बंद कर दिया है, स्कूलों को बंद करने और आवश्यक सेवाओं के लिए पेट्रोल और डीजल की राशनिंग के लिए मजबूर किया है। उधर, श्रीलंका अपनी खराब वित्तीय स्थिति की वजह से 2026 तक चुकाए जाने वाले 25 बिलियन अमेरिकी डॉलर कर्ज में से इस साल की किश्त सात बिलियन अमेरिकी डॉलर को चुकाने में असफल रहा। देश का कुल विदेशी कर्ज करीब 51 अरब डॉलर है।
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