PM बनने के 12 घंटे बाद ही देना पड़ा इस्तीफा, फिर Magdalena Anderson बनने जा रहीं प्रधानमंत्री

स्वीडन की संसद ने बुधवार को मैग्डेलेना एंडरसन को देश की पहली महिला प्रधानमंत्री के तौर पर मंजूरी दी थी। इसके बाद उन्होंने बजट पेश किया। लेकिन बजट को लेकर समर्थन देने वाली सेंटर पार्टी विरोध करते हुए सरकार से अलग होने का ऐलान कर दिया।

Asianet News Hindi | Published : Nov 26, 2021 10:13 AM IST / Updated: Nov 26 2021, 03:53 PM IST

स्टॉकहोम। स्वीडन (Sweden) की राजनीति भी अजब-गजब है। एक मुद्दे को लेकर 12 घंटे के भीतर ही समर्थन देने वाली पार्टी ने सरकार को अल्पमत में कर दिया। नतीजा यह रहा कि देश की पहली महिला पीएम (First Woman PM) को इस्तीफा (resigns) देना पड़ा। एक बार फिर उसी सरकार के गठन में सरकार गिराने वालों ने मदद का ऐलान भी कर दिया। शपथ लेने के महल 12 घंटे बाद इस्तीफा देने वाली महिला पीएम मैग्डेलेना एंडरसन (Magdalena Anderson) एक बार फिर देश की बागडोर संभाल सकती हैं। 

क्यों देना पड़ा इस्तीफा?

स्वीडिश वित्त मंत्री (Finance Minister) एंडरसन इस महीने की शुरुआत में सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (Social Democratic Party) की लीडर चुनी गई थीं। मैग्डेलेना एंडरसन ने ग्रीन पार्टी, लेफ्ट पार्टी और सेंटर पार्टी के समर्थन से सरकार बनायी थी। स्वीडन की संसद ने बुधवार को मैग्डेलेना एंडरसन को देश की पहली महिला प्रधानमंत्री के तौर पर मंजूरी दी थी। इसके बाद उन्होंने बजट पेश किया। लेकिन बजट को लेकर समर्थन देने वाली सेंटर पार्टी विरोध करते हुए सरकार से अलग होने का ऐलान कर दिया। इस ऐलान के बाद ग्रीन पार्टी भी अलग हो गई। दो दलों के समर्थन वापसी के बाद एंडरसन को इस्तीफा देना पड़ा। 

एक बार फिर दोनों पार्टियां मदद को तैयार

हालांकि, प्रधानमंत्री मैग्डेलेना एंडरसन के 12 घंटे में ही इस्तीफा के बाद एक बार फिर राजनीतिक हालात बदले नजर आ रहे हैं। एंडरसन को दोनों पार्टियों ने फिर से समर्थन का मन बनाया है। ग्रीन पार्टी ने कहा है कि वह संसद में अगले समर्थन वोट के लिए एंडरसन का साथ देगी। जबकि सेंटर पार्टी ने वोटिंग में मौजूद न रहने का फैसला लिया है। सेंटर पार्टी के वॉकआउट करने से एंडरसन को फायदा ही होगा। लेफ्ट पार्टी पहले से ही एंडरसन के साथ है।

एक वोट से मिली थी जीत

स्वीडिश संसद ने मैग्डेलेना एंडरसन को प्रधानमंत्री बनाए जाने की मंजूरी दी थी। हालांकि, वह बहुमत के आंकड़े 175 से दूर थीं। स्वीडन में प्रधानमंत्री बनने के लिए संसद में बहुमत की जरूरत नहीं होती। लेकिन विरोध में पड़े वोट बहुमत में नहीं होने चाहिए। संसद के 349 सदस्यों में से 174 ने एंडरसन के खिलाफ वोट किया था। हालांकि, 117 सांसदों ने उनका समर्थन किया था। 57 सांसदो ने वोटिंग मे हिस्सा नहीं लिया। वहीं, 1 सांसद अनुपस्थित थे। इस तरह एंडरसन के खिलाफ 174 वोट ही पड़े जबकि उनके वोट, अनुपस्थित व न वोटिंग करने वालों के वोट खिलाफ पड़े वोटों से अधिक थे। ऐसे में एंडरसन को जीता मान लिया गया।

1996 में रखा था राजनिति में कदम

एंडरसन ने अपने पॉलिटिकल करियर की शुरुआत 1996 में की थी। वह पीएम गोरान पर्सन की पॉलिटिकल एडवाइजर थीं। वह उप्साला यूनिवर्सिटी से पढ़ी हैं और जूनियर स्विमिंग चैंपियन भी रह चुकी हैं। 

यह भी पढ़ें:

Manish Tewari की किताब से असहज हुई Congress: अधीर रंजन चौधरी ने दी नसीहत, पूछा-अब होश में आए हैं, उस समय क्यों नहीं बोला

महाराष्ट्र कोआपरेटिव चुनाव में महाअघाड़ी को झटका, एनसीपी विधायक को बागी ने एक वोट से हराया, गृहराज्यमंत्री भी हारे

Share this article
click me!