तालिबान ने हत्यारोपी को सरेआम दी मौत की सजा, शरिया लॉ का पालन कराने के लिए एक दर्जन से अधिक मंत्री रहे मौजूद

तालिबान शासन के प्रभावी होने के बाद अफगानिस्तान में पुराने तौर तरीके से सजा देने का प्राविधान शुरू हो चुका है। हाल के दिनों में डकैती, रेप, छेड़छाड़ आदि अपराधों में आरोपी पुरुषों या महिलाओं को सार्वजनिक रूप से कोड़े मारने जैसी सजा का प्रावधान है।

Dheerendra Gopal | Published : Dec 7, 2022 4:06 PM IST

Taliban brutal conviction: अफगानिस्तान की सत्ता पाने के बाद तालिबान प्रशासन क्रूरता की सारी हदों को पार करता जा रहा है। पश्चिमी अफगानिस्तान में हत्या के आरोपी एक व्यक्ति को तालिबान प्रशासन ने सार्वजनिक रूप से मौत के घाट उतार दिया। सत्ता संभालने के बाद अफगानिस्तान ने सार्वजनिक रूप से यह पहली सजा दी है।

2017 में एक व्यक्ति की हुई थी हत्या

तालिबान प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिदि ने बताया कि पश्चिमी फराह प्रांत में 2017 में एक व्यक्ति की चाकू मारकर हत्या कर दी गई थी। इस केस में तालिबान अदालत ने सजा-ए-मौत की सजा सुनाई थी। तीन अदालतों ने सजा पर सुनवाई की है। इसके बाद सर्वोच्च आध्यात्मकि नेता को सजा के लिए अधिकृत किया गया। हालांकि, पूरी पूछताछ के बाद आरोपी ने यह नहीं बताया कि उसने कैसे हत्या की थी लेकिन उसके अपराध की पुष्टि जांच में हो गई थी। 

अपराधी को सरेआम दी गई सजा

आध्यात्मिक नेता द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद आरोपी को सरेआम मौत दी गई। इस सजा के क्रियान्वयन के दौरान तालिबान प्रशासन के तमाम मंत्री मौजूद रहे। इस दौरान कार्यवाहक आंतरिक मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी, कार्यवाहक उप प्रधान मंत्री अब्दुल गनी बरादर, मुख्य न्यायाधीश, कार्यवाहक विदेश मंत्री और कार्यवाहक शिक्षा मंत्री सहित एक दर्जन से अधिक तालिबानी अधिकारी मौजूद रहे।

पुराने तौर तरीके से सजा देना शुरू कर दिया है तालिबान

तालिबान शासन के प्रभावी होने के बाद अफगानिस्तान में पुराने तौर तरीके से सजा देने का प्राविधान शुरू हो चुका है। हाल के दिनों में डकैती, रेप, छेड़छाड़ आदि अपराधों में आरोपी पुरुषों या महिलाओं को सार्वजनिक रूप से कोड़े मारने जैसी सजा का प्रावधान है। 1990 के दशक के दौरान तालिबान ने पुरातन तरीके से सजा का प्रावधान किया था। एक बार फिर तालिबान ने उसी तौर तरीकों को अपना लिया है। अदालत के एक बयान के अनुसार तालिबान के सर्वोच्च आध्यात्मिक नेता ने नवंबर में न्यायाधीशों से मुलाकात कर कहा कि उन्हें शरिया कानून के अनुरूप दंड देना चाहिए। तालिबान के पिछले 1996-2001 के शासन के तहत पत्थर मारकर सार्वजनिक कोड़े मारे गए और फांसी दी गई।

मानवाधिकार आयोग ने कोड़े मारने जैसी सजा पर रोकने को कहा

अफगानिस्तान में मौत की सजा को पुराने कानून या शरिया कानून के अनुरूप देने का प्रावधान कर दिया गया है। हालांकि, तालिबान के इस तौर तरीकों से विदेशों में काफी निंदा की जा रही है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संगठन ने भी पिछले महीने तालिबान अधिकारियों से अफगानिस्तान में सार्वजनिक रूप से कोड़े मारने के प्रयोग को तुरंत रोकने को कहा था।

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