Afganistan से अमेरिकी सेना की वापसी ने कई देशों को चौंकाया है। लेकिन अब आतंकवादी संगठन ISIS ने भी इसे अमेरिका की साजिश करार दिया है। US इस संगठन को तालिबान से बड़ा खतरा मानता है।
काबुल. Afganistan से करीब 20 साल बाद अमेरिका और नाटो सेना की वापसी ने दुनियाभर को चौंकाया है। क्योंकि अमेरिका सेना की वापसी की घोषणा के साथ ही Taliban सक्रिय हो उठा था और कुछ ही दिनों में उसने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया। अमेरिका इसे सही कदम बताता है। लेकिन दुनियाभर में उसकी आलोचना हो रही है। अमेरिका अब तालिबान से कहीं अधिक आतंकवादी संगठन ISIS को खतरनाक मानता है, जबकि यह संगठन तालिबान की आड़ में अमेरिकी की कोई साजिश बताता है। बता दें कि फरवरी से ही अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी होने लगी थी। यह 31 अगस्त तक पूरी होनी है। हालांकि शुक्रवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अफगानिस्तान पर अपना संबोधन देते हुए कहा कि इस मामले में अगले हफ्ते कोई बड़ा फैसला लिया जाएगा। इस बीच काबुल एयरपोर्ट से 85 भारतीयों के साथ एक C130 J विमान ने उड़ान भरी। इन भारतीयों को ब्रिटिश अधिकारी एयरपोर्ट तक लेकर आए थे।
तालिबान नकली जिहाद
इस्लामिक स्टेट(ISIS) ने तालिबान को इस्लाम का मुखौटा पहने बहुरुपिये करार दिया है। इस आतंकवादी संगठन का कहना है कि अमेरिका ने मुसलमानों को बरगलाने और इलाके से इस्लामिक स्टेट की मौजूदगी मिटाने यह साजिश की है। यह संगठन एक पत्रिका अल नाबा प्रकाशित करता है। इसमें संगठन ने अफगानिस्तान में तालिबान की सफलता पर मजाक करते हुए कहा कि तालिबान अमेरिका के साथ मिलकर काम कर रहा है।
शरिया कानून पर भी सवाल
ISIS ने इस लेख में अफगानिस्तान में शरिया कानून लागू करने की तालिबानी क्षमता पर भी सवाल खड़े किए हैं। बता दें कि इस समय अफगानिस्तान के खुरासान प्रांत में ISIS की मौजूदगी सामने आई है। संगठन ने तालिबान को ‘मुल्ला ब्रेडले’ प्रोजेक्ट करार दिया है। इस शब्द का इस्तेमाल उन जिहादियों के लिए होता है, जिन्हें अमेरिका अंदर से आंदोलन को अस्थिर करने के लिए नियुक्त करता है।
बाइडेन ने ISIS को तालिबान से अधिक खतरनाक बताया
अमेरिकी राष्ट्रपति ने ISIS को तालिबान से बड़ा खतरा बताया है। जो बाइडेन ने शुक्रवार देर रात अफगानिस्तान के मामले में फिर अपना संबोधन दिया। बाइडेन ने कहा कि अफगानिस्तान से सेना निकालने के फैसले पर नाटो देश भी सहमत थे। हालांकि बाइडेन ने कड़े शब्दों में कहा कि अगर तालिबान अमेरिकी सेना पर हमला करता है, तो यह कतई सहन नहीं होगा। बाइडेन ने बताया कि जुलाई से अब तक 18,000 से ज्यादा और 14 अगस्त के बाद से लगभग 13,000 लोगों को काबुल से निकाला जा चुका है। बाइडेन ने इसे इतिहास का सबसे मुश्किल और बड़ा एयरलिफ्ट ऑपरेशन बताया है।
अमेरिकी ऑपरेशन जारी रहेगा
बाइडेन ने दो टूक कहा कि जब जक अफगानिस्तान से सभी लोगों को सुरक्षित नहीं निकाल लिया जाता,अमेरिकी सेना काबुल में मौजूद रहेगी। बाइडेन ने कहा कि अमेरिकी सेना 20 साल तक अफगानिस्तान में रही है। इस समय भी उसके 6000 सैनिक मौजूद हैं।
G-7 की बैठक में होगा कोई बड़ा फैसला
अगले हफ्ते G-7 समूह के देशों की बैठक होनी है। नाटो के देश ISIS के मुद्दे पर अमेरिका के साथ खड़े हैं। माना जा रहा है कि जेल से भगाए गए आतंकवादी हमला कर सकते हैं। बता दें कि इससे पहले बाइडेन ने सोमवार-मंगलवार की रात पहली बार अफगानिस्तान के मामले में देश को संबोधित किया था। अफगानिस्तान की मौजूदा हालत के लिए उन्होंने वहां के भगोड़े राष्ट्रपति अशरफ गनी और अन्य लीडरशिप को जिम्मेदार ठहराया था।
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