Taliban की धमकी से डरा अमेरिकाः CIA चीफ व तालिबान के प्रमुख नेता मुल्ला बरादर की सीक्रेट मीटिंग

Published : Aug 24, 2021, 10:49 PM IST
Taliban की धमकी से डरा अमेरिकाः CIA चीफ व तालिबान के प्रमुख नेता मुल्ला बरादर की सीक्रेट मीटिंग

सार

अमेरिका के सहयोगी और नाटो देश दबाव डाल रहे हैं कि अमेरिकी सैनिक 31 अगस्त के बाद कुछ दिन और काबुल में रहें। यह इसलिए क्योंकि वे अपने नागरिकों और मददगार अफगानियों को वापस ला सकें। 

काबुल। आखिरकार अमेरिका तालिबानी सरकार के सामने झुक ही गया। अमेरिकी सेनाओं का 31 अगस्त के बाद अफगानिस्तान में रहने के बयान के बाद तालिबान द्वारा मिली धमकी के बाद सीआईए चीफ विलियम बर्न्स काबुल पहुंचे थे। सीक्रेट मिशन के तहत अचानक काबुल पहुंचे सीआईए चीफ ने तालिबान के प्रमुख नेता मुल्ला अब्दुल गनी बरादर से मुलाकात की। इस मीटिंग का खुलासा अमेरिकी अखबार ‘वॉशिंगटन पोस्ट’ ने किया। हालांकि, अमेरिकी विदेश मंत्रालय या व्हाइट हाउस इस मसले पर चुप्पी साध लिया है। 

वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के चीफ बर्न्स सोमवार सुबह एक अचानक काबुल पहुंचे और वहां तालिबानी नेता बरादर से मुलाकात की। 
काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद अमेरिका का कोई टॉप डिप्लोमेट पहली बार अफगानिस्तान में किसी से मिला है। हालांकि, साफ तौर पर कोई अधिकारी तो नहीं बोल रहा है, अफसरों का कहना है कि यह बहुत संवेदनशील मामला है। 

अफगानिस्तान से अमरीकियों को तय समयसीमा तक निकालना मुश्किल

रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका के सहयोगी और नाटो देश दबाव डाल रहे हैं कि अमेरिकी सैनिक 31 अगस्त के बाद कुछ दिन और काबुल में रहें। यह इसलिए क्योंकि वे अपने नागरिकों और मददगार अफगानियों को वापस ला सकें। 

दूसरी तरफ, तालिबान धमकी दे रहा है कि अगर अमेरिकी सैनिक 31 अगस्त के बाद भी मुल्क से वापस नहीं गए तो परिणाम भुगतना पड़ेगा। 
इन स्थितियों से निपटने के लिए सीआईए चीफ विलियम बर्न्स को काबुल भेजा गया है। बर्न्स न केवल खुफिया चीफ हैं बल्कि एक जाने माने डिप्लोमेट भी हैं। 

दोनों की है पुरानी पहचान

मुल्ला बरादर और बर्न्स के बीच काफी पहले से पहचान है। तालिबानी नेता मुल्ला बरादर को जब पाकिस्तान की आईएसआई ने गिरफ्तार कर अमेरिका के हवाले किया था तो उस वक्त बर्न्स भी इस मिशन का हिस्सा थे। बरादर अमेरिका में करीब आठ साल तक जेल में रहा। 

बरादर को 2018 में रिहा किया गया था। यही नहीं कतर और दोहा में अमेरिका से हुई बातचीत में भी बरादर और बर्न्स दोनों शामिल थे। बरादर सोवियत सेनाओं के खिलाफ भी लड़ चुका है। सीआईए चीफ रूस में अमेरिकी एम्बेसेडर रह चुके हैं। अप्रैल में भी वो काबुल जा चुके हैं। 

यह भी पढ़ें:

स्मृति ईरानी बोलींः राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन से सरकार का खजाना भरेगा, देश को हमने कांग्रेस के ‘चोरों’ से बचाया

5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था में बड़ा रोल निभाएगी Digital India, फास्टटैग से लेकर E-संजीवनी तक...इन APPs की धूम

अफगानिस्तान के हालात पर चर्चा: मोदी-रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के बीच 2 मुद्दों पर हुई 45 मिनट बातचीत

Taliban ने अमेरिकी सैनिकों के लाखों हथियार लूटे, Pak आतंकी भारत के खिलाफ भी कर सकते हैं इस्तेमाल

PREV

अंतरराष्ट्रीय राजनीति, ग्लोबल इकोनॉमी, सुरक्षा मुद्दों, टेक प्रगति और विश्व घटनाओं की गहराई से कवरेज पढ़ें। वैश्विक संबंधों, अंतरराष्ट्रीय बाजार और बड़ी अंतरराष्ट्रीय बैठकों की ताज़ा रिपोर्ट्स के लिए World News in Hindi सेक्शन देखें — दुनिया की हर बड़ी खबर, सबसे पहले और सही तरीके से, सिर्फ Asianet News Hindi पर।

Recommended Stories

न्यूयॉर्क फायर ट्रेजेडी: भारतीय छात्रा की नींद में मौत, पड़ोसी बिल्डिंग से कैसे कमरे तक पहुंची आग?
अलास्का-कनाडा बॉर्डर पर 7.0 मैग्नीट्यूड का भूकंप, 20+आफ्टरशॉक्स का अलर्ट-क्या और झटके आएंगे?