दुनिया का शायद ही कोई दूसरा देश होगा जहां देश का राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सहित मंत्री तक एक ही परिवार के लोग हों। भारत या अन्य एशियाई देशों का परिवारवाद इस परिवार के राजनैतिक परिवारवाद के सामने कुछ भी नहीं है।
कोलंबो। अंग्रेजों से आजादी मिलने के बाद श्रीलंका अपने सबसे खराब आर्थिक दौर से गुजर रहा है। आक्रोशित जनता सड़कों पर है, हर ओर आवश्यक सामानों की किल्लत है। ईधन की कमी से यातायात ठप है तो कीमतें आसमान छू रही हैं। हालांकि, सबसे खराब दौर से गुजर रहे श्रीलंका में यहां के लोगों के सबसे भरोसेमंद राजनीतिक परिवार का शासन है। मजे कि बात यह कि इस कुनबे के आधा दर्जन से अधिक सदस्य सरकार चला रहे हैं। शायद यह दुनिया का इकलौता देश है जहां राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री तक एक ही परिवार के हैं। हालांकि, देश की कैबिनेट ने इस्तीफा दे दिया है, ऐसे में अगर इस्तीफा मंजूर हो जाता है तो इस परिवार से प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ही पद पर बचेंगे।
जनाब परिवार कहिए या सरकार...क्या फर्क पड़ता
श्रीलंका की सरकार में राजपक्षे परिवार के सदस्य महत्वपूर्ण बड़े पदों पर विराजमान है। बात करते हैं यहां के राष्ट्रपति की। श्रीलंका के राष्ट्रपति हैं गोटबाया राजपक्षे। 72 वर्षीय गोटबाया राजपक्षे (Gotbaya Rajapaksha) के बड़े भाई महिंदा राजपक्षे (Mahinda Rajapaksha) जिनकी उम्र करीब 75 साल है, देश के प्रधानमंत्री हैं। महिंदा राजपक्षे के पास कई महत्वपूर्ण मंत्रालय भी है। महिंदा राजपक्षे, देश के राष्ट्रपति भी रह चुके हैं। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के सबसे बड़े भाई चमल राजपक्षे (Chamal Rajapaksha), श्रीलंका के गृह मंत्री हैं। चमल राजपक्षे के पास गृह के अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा व अन्य कुछ मंत्रालय है। सबसे छोटे भाई बासिल राजपक्षे (Basil Rajapaksha) देश के वित्त मंत्री पद पर आसीन हैं।
चारों भाई ही नहीं भतीजे भी हैं कैबिनेट में...
राजपक्षे परिवार की पहली पीढ़ी तो राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व मंत्रिमंडल के प्रमुख मंत्रालय को संभाल ही रहे हैं, इनकी दूसरी पीढ़ी भी कैबिनेट का हिस्सा हैं। प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के पुत्र नमल राजपक्षे (Namal Rajapaksha) भी सरकार में कई महत्वपूर्ण मंत्रालय संभाल रहे हैं। रविवार को नमल राजपक्षे ने इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद सभी 26 मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया। जबकि कैबिनेट मंत्री चमल राजपक्षे के पुत्र शाशेंद्र राजपक्षे (Shashendra Rajapaksha) भी मंत्री परिषद के सदस्य हैं। शाशेंद्र को 'धान और अनाज, ऑर्गेनिक फूड, सब्जियां, फल, मिर्च, प्याज और आलू, बीज उत्पादन और उच्च तकनीक वाली कृषि का मंत्रालय का जिम्मा है।
लिट्टे के सफाया के बाद राजनीतिक स्वीकार्यता बढ़ी
दरअसल, राजपक्षे परिवार की राजनीतिक स्वीकार्यता में 2009 के बाद से जबर्दस्त इजाफा हुआ। लिट्टे (LTTE) की वजह से पूरा देश गृह युद्ध से तबाह था। महिंदा राजपक्षे के हाथ में देश की कमान थी। उन्होंने लिट्टे (LTTE) के खात्मा के साथ गृह युद्ध समाप्त कराया। देश में दशकों से चले आ रहे गृह युद्ध की समाप्ति के बाद यहां की जनता का इस परिवार पर विश्वास बढ़ा। उस दौर में भी चारो भाई कैबिनेट में थे। लिट्टे के खिलाफ जब अभियान चलाया गया तो उस समय महिंदा राजपक्षे के भाई गोटबाया राजपक्षे रक्षा मंत्री हुआ करते थे। जबकि चमल राजपक्षे तत्कालीन संसद के स्पीकर थे तो बासिल राजपक्षे कैबिनेट मंत्री हुआ करते थे। महिंदा राजपक्षे दो बार श्रीलंका के राष्ट्रपति भी रह चुके हैं।
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