
बर्लिन। जब रूस यूक्रेन पर हमला कर रहा था तो जर्मनी की विदेशी खुफिया सेवा के प्रमुख वहीं थे। हालांकि, हवाई सेवाएं बंद होने की वजह से स्पेशल फोर्सेस ने उनको सुरक्षित वापसी सुनिश्चित की है। फेडरल इंटेलिजेंस सर्विस (बीएनडी) ने पुष्टि की कि ब्रूनो काहल (Bruno Kahl) बुधवार को स्पेशल मीटिंग के लिए यूक्रेन में थे, लेकिन आक्रमण शुरू होने के बाद उनको अपनी डिपार्चर के निर्णयों को बदलना पड़ा।
भू-मार्ग से वापसी हुई सुनिश्चित
बीएनडी ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि शत्रुता के प्रकोप और यूक्रेन के हवाई क्षेत्र को बंद करने के कारण, राष्ट्रपति ने भू-मार्ग से वापसी सुनिश्चित कराई। उनकी सुरक्षित वापसी में सुरक्षा बलों का विशेष योगदान रहा। विशेष बलों द्वारा कथित रूप से निभाई गई भूमिका का उल्लेख नहीं किया जा सकता है। हालांकि, उन्होंने बताया कि यह एक कठिन और लंबी यात्रा थी क्योंकि शरणार्थियों की धारा एक ही दिशा में जा रही थी।
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बर्लिन मीटिंग में पहुंचे खुफिया प्रमुख
जर्मनी के खुफिया प्रमुख, यूक्रेन के बाद सीधे यूरोपीय संघ में वापस आ गए। यहां उनको बर्लिन में यूरोपियन यूनियन की मीटिंग में शिरकत करना है। बिल्ड अखबार ने सूत्रों के हवाले से कहा कि कहल यूक्रेन में व्यक्तिगत रूप से महत्वपूर्ण जानकारी देने के लिए गए थे। सीक्रेट एजेंट व पूर्व राजनेता काहल, जर्मन राजनयिकों के पहले निकासी से चूक गए थे। आगे बढ़ती रूसी सेना से भाग रहे शरणार्थियों के भारी प्रवाह के परिणामस्वरूप यूक्रेन की पश्चिमी पड़ोसियों के साथ सीमाओं पर कई घंटों की कतारें लगी हैं।
कीव पर हमला तेज
शुक्रवार को रूसी सैनिकों ने हमला तेज किया। मिसाइलों से यूक्रेन की राजधानी कीव पर रूसी सेना ने जमकर बमबारी की। यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से और अधिक मदद करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि अब तक घोषित बैन अपर्याप्त हैं। इससे पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की ने कहा था कि अब तक 10 सैन्य अधिकारियों सहित 137 लोग मारे गए हैं और 316 लोग घायल हुए हैं।
सोमवार को रूस ने दो देशों को दी थी मान्यता
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोमवार को विद्रोहियों के कब्जे वाले यूक्रेन के डोनेट्स्क और लुगांस्क क्षेत्रों की स्वतंत्रता को मान्यता दी थी। इन दोनों को अलग देश के रूप में पुतिन ने मान्यता देते हुए अपने रक्षा मंत्रालय को अलगाववादियों के कब्जे वाले क्षेत्रों में शांति व्यवस्था का कार्य संभालने का निर्देश दिया।
यह है विवाद की वजह
रूस यूक्रेन की नाटो की सदस्यता का विरोध कर रहा है। लेकिन यूक्रेन की समस्या है कि उसे या तो अमेरिका के साथ होना पड़ेगा या फिर सोवियत संघ जैसे पुराने दौर में लौटना होगा। दोनों सेनाओं के बीच 20-45 किमी की दूरी है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन पहले ही रूस को चेता चुके हैं कि अगर उसने यूक्रेन पर हमला किया, तो नतीजे गंभीर होंगे। दूसरी तरफ यूक्रेन भी झुकने को तैयार नहीं था। उसके सैनिकों को नाटो की सेनाएं ट्रेनिंग दे रही हैं। अमेरिका को डर है कि अगर रूस से यूक्रेन पर कब्जा कर लिया, तो वो उत्तरी यूरोप की महाशक्ति बनकर उभर आएगा। इससे चीन को शह मिलेगी। यानी वो ताइवान पर कब्जा कर लेगा।
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