
इस्लामाबाद। हाल ही में पाकिस्तान के 23वें प्रधानमंत्री (pakistan new PM) बने शहबाज शरीफ (Shehbaz Sharif) अपने नए मंत्रिमंडल के गठन में कुछ वक्त ले सकते हैं। दरअसन, वह जानते हैं कि मंत्रिमंडल गठन में जरा भी चूक होने पर संयुक्त विपक्ष नाराज हो सकता है। ऐसे में वह सभी सहयोगियों का साथ लेकर चलने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन, शहबाज शरीफ को सत्ता के शिखर तक पहुंचाने में अहम भागीदार बनी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP)मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होना चाहती है। पीपीपी के पास पाकिस्तानी नेशनल असेंबली में कुल 56 सीटें हैं, जबकि PML-N के पास 84 सांसद हैं।
सिर्फ विशेषाधिकारों का आनंद लेने नहीं आए
पाकिस्तान के अखबार ‘डॉन' के मुताबिक पीपीपी के एक नेता का कहना है कि हम गठबंधन की कमजोर नस को समझते हैं और मौजूदा सरकार को कामयाब होते देखना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि हम यह धारणा नहीं बनाना चाहते कि हम सिर्फ विभागों या भत्तों और विशेषाधिकारों का आनंद लेने के लिए सत्ता में आए हैं।
शरीफ सभी को साथ लेना चाह रहे
शरीफ इस बात पर जोर दे रहे हैं कि पार्टी कैबिनेट में शामिल हो, क्योंकि उनका मानना है कि अगर पीपीपी इससे बाहर रहती है, तो इससे जनता में गलत संदेश जाएगा। पाकिस्तानी के अखबार द डॉन की खबर के मुताबिक पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के सूत्रों का कहना है कि दोनों पार्टियों के आलाकमान ने सभी सहयोगी दलों को कैबिनेट में शामिल करने और उन्हें उनकी पसंद के मंत्रालय देने का फैसला किया है।
गठबंधन में 8 पार्टियां और 4 निर्दलीय
द डॉन के मुताबिक पाकिस्तान की सत्ता में काबिज संयुक्त गठबंधन में 8 राजनीतिक पार्टियां और 4 निर्दलीय सदस्य शामिल हैं। शहबाज सिर्फ दो वोटों के अंतर से प्रधानमंत्री पद पर काबिज हुए हैं, इसलिए वे जरा सी भी चूक नहीं करना चाहते।
174 वोट हासिल कर पीएम बने शरीफ
पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में हुए अविश्वास प्रस्ताव की वोटिंग में इमरान को 174 वोट मिले थे। पाकिस्तान की संसद की 342 सीटों में से सत्ता में आने के लिए 172 सीटों की जरूरत होती है। ऐसे में 4 निर्दलीयों की भूमिका भी अहम है। 70 साल के शरीफ सरकार में खासकर उन लोगों को साथ लेकर चलना चाहते हैं, जो इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) की गठबंधन सरकार का साथ छोड़ने के बाद उनके साथ आए हैं।
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