Explainer: जैश-ए-मुहम्मद के बनने की कहानी? जानिए क्या है इसका IC-814 कनेक्शन...

जैश-ए-मोहम्मद, 2000 में स्थापित एक आतंकी संगठन, का इतिहास आईसी-814 विमान अपहरण से जुड़ा है। मौलाना मसूद अजहर द्वारा स्थापित यह संगठन भारत में कई आतंकी हमलों के लिए जिम्मेदार रहा है।

Dheerendra Gopal | Published : Sep 5, 2024 4:52 PM IST / Updated: Sep 06 2024, 12:40 AM IST

The story of Formation of Jaish-E-Mohammed: आर्थिक बदहाली की मार झेलता आया पाकिस्तान अपनी खुशहाली के लिए कम भारत में आतंक फैलाने में अधिक दिमाग खपाता है। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की शह और फंडिंग से दर्जनों आतंकी संगठन भारत के खिलाफ साजिश रचने में दशकों से लगे हुए हैं। कंधार विमान अपहरण, खतरनाक आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के बनने की उस गलती को याद दिलाता है।

जैश-ए-मोहम्मद की नींव कैसे पड़ी?

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जैश-ए-मोहम्मद (JeM) की नींव 2000 में पड़ी थी। इसका गठन पाकिस्तान में किया गया था। मौलाना मसूद अजहर ने भारत में आतंक फैलाने और कश्मीर को भारत से अलग करने के उद्देश्य से इस संगठन को खड़ा किया था। यह भारतीय सेना और आम लोगों को टारगेट करते हैं। अपने कमांडर-इन-चीफ की भारत के जेल में मारे जाने और भारतीय जेल से छूटने के बाद मौलाना ने भारत के खिलाफ साजिश कर हमले तेज कर दिए।

आईसी-814 विमान हाईजैक से क्या है कनेक्शन?

मौलाना मसूद अजहर को 1994 में भारतीय सुरक्षाबलों ने अरेस्ट किया था। उस समय वह हरकत उल-अंसार नामक आतंकी संगठन का हिस्सा था। इस ग्रुप ने जम्मू-कश्मीर में अपनी पैठ बढ़ाई। इसके एक हजार से अधिक सक्रिय आतंकी थे। ग्रुप का चीफ सज्जाद अफगानी था। 1994 में जम्मू-कश्मीर में भारतीय सुरक्षाबलों ने मौलाना मसूद अजहर अल्वी, सज्जाद अफगानिया और नसरुल्लाह मंज़ूर लंगरयाल को अरेस्ट किया। इस आतंकी संगठन ने अपने नेताओं को रिहा करने के लिए दिल्ली में चार विदेशियों का अपहरण किया लेकिन यह योजना विफल हो गई। दिल्ली पुलिस ने पाकिस्तानी मूल के ब्रिटिश छात्र अहमद उमर सईद शेख को गिरफ्तार कर लिया। एक के बाद एक नेता जेल में पहुंचने से बौखलाए आतंकी संगठन ने खतरनाक फैसला लिया। काठमांडू के त्रिभुवन एयरपोर्ट से 1999 में इंडियन एयरलाइंस फ्लाइट IC-814 को हाईजैक कर लिया।

प्लेन हाईजैक में क्या हुआ?

त्रिभुवन एयरपोर्ट नेपाल से आईसी-184 एयरबस ए300 को आतंकवादियों ने अमृतसर लाया। इसके बाद वह उसे पाकिस्तान लेकर गए। लाहौर में तेल भरने की इजाजत दी गई लेकिन रूकने नहीं दिया गया। फिर प्लेन, दुबई लेकर आतंकवादी पहुंचे। यहां दुबई प्रशासन ने 27 पैसेंजर्स को रिहा करा लिया जिसमें महिलाएं और बच्चे थे। एक युवा भारतीय पैसेंजर रुपिन कात्याल का शव भी उतारा गया जिसे पूर्व में उन लोगों ने मार दिया था। इसके बाद 25 दिसंबर 1999 को प्लेन कंधार अफगानिस्तान में उतारा गया। कंधार क्षेत्र तालिबान के प्रभाव वाला क्षेत्र था। उसने मेडिएटर की भूमिका निभाई। भारत ने तीन हाई प्रोफाइल आतंकवादियों मौलाना मसूद अजहर, मुश्ताक जरगर और उमर शेख को आईसी-814 में सवार यात्रियों की सुरक्षा के लिए जेल से रिहा किया।

इस रिहाई के बाद ही मौलाना मसूद अजहर ने रखी जैश की नींव

भारत द्वारा रिहा किए जाने के बाद खूंखार आतंकवादी मसूद अजहर ने जैश-ए-मोहम्मद का गठन किया। जैश को ओसामा बिन लादेन और पाकिस्तान की आईएसआई से फंड मिले।

जैश का भारत के खिलाफ किया गया बड़ा हमला कौन रहा?

जैश-ए-मोहम्मद ने भारत के खिलाफ कई बड़े हमले किए। इन हमलों में जैश सीधे तौर पर शामिल था। 2001 में संसद हमला हो या 2016 का उरी अटैक। 2019 में पुलवामा में भारतीय सेना के वाहन पर हमला जिसमें 40 सैन्यकर्मी मारे गए। यही नहीं जैश 2008 के मुंबई हमलों और जम्मू-कश्मीर में दर्जनों हमलों में भी लिप्त रहा।

जैश के पहले किस संगठन के लिए काम करता था अजहर?

जैश-ए-मोहम्मद बनाने के लिए मौलाना मसूद अजहर कई आतंकी संगठनों से जुड़ा रहा। वह हरकत-उल-अंसार नामक आतंकी संगठन से जुड़ा था जिसने आईसी-184 को हाईजैक किया था।

क्या था हरकत उल-अंसार?

हरकत-उल-अंसार का गठन भी पाकिस्तान में ही हुआ था। यह वह दौर था जब अफगानिस्तान से सोवियत सेनाएं पीछे हट रहीं थीं। सोवियत सेनाओं के जाने के बाद अफगानिस्तान में सत्ता पाने के लिए गृहयुद्ध छिड़ गया था। अफगान जिहाद के उद्देश्य से हरकत उल-अंसार का गठन किया गया। हरकत-उल-अंसार को दो आतंकी संगठनों, हरकत उल-जिहाद अल-इस्लामी और हरकत उल-मुजाहिदीन के विलय से हुआ था।

हरकत-उल-अंसार का कमांडर कौन था?

सज्जाद अफगानी हरकत उल-अंसार का कमांडर-इन-चीफ था। जबकि मौलाना मसूद अजहर, हरकत उल अंसार का महासचिव था। दोनों नेता जम्मू-कश्मीर में कई अन्य साथियों के साथ 1994 में सुरक्षा बलों द्वारा अरेस्ट किए गए थे। लेकिन जुलाई 1999 में जम्मू में हाई सिक्योरिटी वाली कोट बलवाल जेल में जेल तोड़ने की कोशिश में वह मारा गया था। सज्जाद अफगानी ने अन्य आतंकवादियों के साथ मिलकर एक सेल के अंदर 23 फीट की सुरंग खोदी थी। लेकिन भागने के पहले साजिश का भंड़ाफोड़ हो गया। इस दौरान एक झड़प में वह मारा गया। अजहर और अफगानी, 1997 से जम्मू की कोट बलवाल जेल में एक ही बैरक में थे। पुलिस उसके शव को जम्मू के गुज्जर नगर ले गई और स्थानीय लोगों ने उसे मुख्य कब्रिस्तान में दफना दिया गया था।

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