भूकंप के ऑफ्टरशॉक का कहर: 3 घंटे में 50 झटके, 1000 घर जमींदोज, 126 मौतें

Published : Jan 07, 2025, 10:59 PM IST
Earthquake

सार

तिब्बत में भूकंप और उसके बाद के झटकों ने भारी तबाही मचाई है, सैकड़ों घर तबाह हो गए हैं और कई लोगों की जान चली गई है। यह भूकंप नेपाल और भारत में भी महसूस किया गया।

Earthquake aftershock: तिब्बत में आए भूकंप के बाद ऑफ्टरशॉक से सैकड़ों घर जमींदोज हो गए हैं, दर्जनों जिंदगियां जमीन के नीचे दफन हो गईं। भारत के पड़ोसी देश में आए भयंकर भूकंप की वजह से कम से कम 126 जान चली गई है। भूकंप का केंद्र एवरेस्ट का उत्तरीद्वार कहा जाने वाला टिंगरी गांव रहा। यह गांव कई हजार फीट ऊंचाई पर स्थित है। गांव से करीब 80 किलोमीटर की दूरी पर यह गांव है। भू-वैज्ञानिकों की माने तो धरती से करीब दस किलोमीटर नीचे गहराई में आए भूकंप के बाद ऑफ्टरशॉक से कम से कम 50 बार धरती कांपी जिससे व्यापक पैमाने पर तबाही मची।

दुनिया का सबसे ऊंचाई वाला देश तिब्बत

तिब्बत दुनिया की सबसे ऊंचाई वाला देश है। यह समुद्रतट से 13 हजार से 16 हजार फीट की ऊंचाई पर है। तिब्बत पहाड़ी क्षेत्र होने की वजह से भूकंप से यहां आसपास बड़ी तबाही मचती है। अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के आंकड़ों के मुताबिक इस भूकंप की तीव्रता 7.1 थी। भूकंप का केंद्र तिब्बत के डिंगरी में जमीन से 10 किलोमीटर नीचे था। रिपोर्ट्स के अनुसार, मंगलवार सुबह 9:05 बजे शिज़ांग (तिब्बत) स्वायत्त क्षेत्र के शिगाज़े शहर के डिंगरी काउंटी में 7.1 तीव्रता का भूकंप आया। भूकंप के झटके नेपाल, भारत से लेकर बांग्लादेश तक महसूस किए गए। उधर, चीन ने दावा किया कि यह भूकंप, पिछले पांच साल में 200 किलोमीटर के दायरे में आया सबसे शक्तिशाली भूकंप था।

भारी तबाही और जानमाल का हुआ नुकसान

तिब्बत में आए भूकंप की वजह से विभिन्न क्षेत्रों में भारी तबाही मची है। भूकंप की वजह से कम से कम 126 लोगों की जान चली गई है। एक अनुमान के मुताबिक, भूकंप की वजह से कम से कम 1000 घर तबाह हो गए या जमींदोज हो गए हैं। वैज्ञानिकों की मानें तो सबसे अधिक तबाही ऑफ्टरशॉक की वजह से हुई। तीन घंटे में कम से कम 50 ऑफ्टरशॉक महसूस किया गया।

नेपाल में क्यों आती है भूकंप

दरअसल, नेपाल-तिब्बत क्षेत्र भूकंप के मामले में अधिक संवेदनशील क्षेत्र है। नेपाल दो विशाल टेक्टोनिक प्लेटों (एशियाई और इंडो-ऑस्ट्रेलियाई प्लेट) की सीमा पर स्थित है। हिमालय क्षेत्र में भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेंट्स के टकराने से भूकंप का अधिक खतरा रहता है। यह इसलिए क्योंकि पृथ्वी की पपड़ी विशााल टेक्टोनिक प्लेट्स सेबनीं है। इन प्लेट्स से समुद्र और महाद्वीप बने हैं। ये लगातार हिलते और एक-दूसरे से टकराते रहते हैं।

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