पाक में हिंदू ईसाइयों की स्थिति खराब, अल्पसंख्यकों पर हमले के लिए कट्टरपंथ बढ़ा रही इमरान सरकार; रिपोर्ट

संयुक्त राष्ट्र ने माना है कि पाकिस्तान में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति लगातार खराब हो रही है। वहां के हिंदू और ईसाई समुदाय सबसे ज्यादा खतरे में हैं। इन दोनों समुदायों की महिलाओं और बच्चियों को अगवा कर उनका धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। कमीशन ने 47 पन्नों की रिपोर्ट को 'पाकिस्तान: धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला' नाम दिया है।

Asianet News Hindi | Published : Dec 15, 2019 10:29 AM IST / Updated: Dec 15 2019, 04:05 PM IST

न्यूयॉर्क. पाकिस्तान में खराब हो रही धार्मिक स्वतंत्रा की स्थिति को अब संयुक्त राष्ट्र ने भी स्वीकार किया है। संयुक्त राष्ट्र ने माना है कि पाकिस्तान में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति लगातार खराब हो रही है। वहां के हिंदू और ईसाई समुदाय सबसे ज्यादा खतरे में हैं। इन दोनों समुदायों की महिलाओं और बच्चियों को अगवा कर उनका धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मुस्लिम युवकों से शादी होने के बाद उनके परिवार के पास लौटने की उम्मीद बहुत कम होती है। यूएन की कमीशन ऑन स्टेटस ऑफ वीमेनकी रिपोर्ट के मुताबिक, इमरान खान सरकार अल्पसंख्यकों पर हमले के लिए कट्टरपंथी विचारों को बढ़ावा दे रही है। कमीशन ने 47 पन्नों की रिपोर्ट को 'पाकिस्तान: धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला' नाम दिया है।

राजनीति में जगह बनाने के लिए कर रहे ऐसे काम 

सीएडब्ल्यू की रिपोर्ट में पाकिस्तान में ईशनिंदा और अहमदिया विरोधी कानून के बढ़ते राजनीतिकरण पर चिंता जताई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन कानूनों को कट्टरपंथी इस्लामी संगठन सिर्फ अल्पसंख्यकों को मारने के लिए ही नहीं, बल्कि राजनीति में जगह बनाने के लिए भी हथियार की तरह इस्तेमाल किए जा रहे हैं।

अल्पसंख्यकों को नहीं मिल रहा न्याय

रिपोर्ट में पाकिस्तान की पुलिस और न्याय व्यवस्था पर भी सवाल खड़े किए गए हैं। इसमें कहा गया है कि अगवा की गई महिलाओं की परेशानी इसलिए और बढ़ जाती है, क्योंकि पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करती। पुलिस और न्याय व्यवस्था अल्पसंख्यक पीड़ितों के प्रति भेदभावपूर्ण रवैया अपनाते हैं। ऐसे मामलों में न्यायिक व्यवस्था भी काफी कमजोर रहती है।

रिपोर्ट में अल्पसंख्यकों पर हमले के उदाहरण भी

'पाकिस्तान: धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला' पर कमीशन ने तैयार किए अपने रिपोर्ट में अल्पसंख्यकों के हालात दर्शाते हुए कुछ उदाहरण भी दिए हैं। इसमें बताया गया है कि मई 2019 में सिंध के मीरपुरखास के एक हिंदू वेटरिनरी सर्जन रमेश कुमार मल्ही पर कुरान के पन्नों में दवाई लपेटकर देने के लिए ईशनिंदा का आरोप लगा दिया गया था। इसके चलते प्रदर्शनकारियों ने वेटरिनरी के क्लिनिक और आसपास के हिंदुओं की दुकानें जला दी थीं।

पाकिस्तान में बढ़ रही भीड़ हिंसा 

यह भी कहा है कि पाकिस्तान के ईशनिंदा कानून का लोग अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के लिए इस्तेमाल करते हैं। ईशनिंदा कानून और उसके ऊपर बढ़ते कट्टरवाद की वजह से देश में सामाजिक सौहार्द को भारी नुकसान पहुंचा है। ईशनिंदा के संवेदनशील मामलों की वजह से धार्मिक उन्माद भड़कता है और इससे पाकिस्तान में भीड़ हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं।

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