
नई दिल्ली। भारत और अमेरिका की रणनीतिक साझेदारी एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार चर्चा है 93 मिलियन डॉलर की उस बड़ी डिफेंस डील की, जिसे अमेरिका ने औपचारिक तौर पर मंजूरी दे दी है। इस सैन्य पैकेज में वे हथियार शामिल हैं जो आधुनिक युद्ध के नियम ही बदल सकते हैं-जैसे जेवलिन एंटी-टैंक मिसाइलें और एक्सकैलिबर प्रिसिजन-गाइडेड आर्टिलरी राउंड्स। सवाल यह है कि यह डील अचानक इतनी महत्वपूर्ण क्यों हो गई? और क्या यह भारत की सैन्य शक्ति में एक बड़ा बदलाव लाने वाली है?
US की डिफेंस सिक्योरिटी कोऑपरेशन एजेंसी (DSCA) द्वारा भेजे गए नोटिफिकेशन के बाद यह साफ हो गया है कि भारत को मिल रहे हथियार सिर्फ संख्या में नहीं, बल्कि तकनीक में भी बेहद खास हैं। पैकेज में शामिल हैं। जिसमें अमेरिका ने भारत को 100 जैवलिन एंटी टैक मिसाइल, 25 कमांड लांच यूनिट (Javelin Anti-Tank Missiles, 25 Command Launch Units) और 216 एक्सकैलिबर प्रिसिजन-गाइडेड आर्टिलरी राउंड्स ( Excalibur Precision-Guided Artillery Rounds) देने की अनुमति दे दी है। ये वही हथियार हैं जिन्होंने यूक्रेन युद्ध में रूसी टैंकों को तबाह किया था। अमेरिका और भारत के बीच यह डील 93 मिलियन डालर (करीब 775 करोड़ रुपये) में हुई है। US की Defence Security Cooperation Agency (DSCA) ने यह जानकारी औपचारिक रूप से अमेरिकी कांग्रेस को भेज दी है, जिससे यह डील आगे बढ़ने के लिए पूरी तरह क्लियर हो चुकी है।
DSCA का कहना है कि यह डील भारत की डिफेंस कैपेबिलिटी बढ़ाएगी। क्षेत्रीय खतरों को रोकने में मदद करेगी और इंडो-पैसिफिक में सामरिक शक्ति संतुलन बनाए रखेगी। महत्वपूर्ण बात यह है कि US ने साफ कहा है कि इस डील से क्षेत्रीय सैन्य बैलेंस नहीं बिगड़ेगा लेकिन फिर इतनी ताकतवर मिसाइलें भारत को क्यों? यही है इस पूरी खबर का असली रहस्य।
DSCA के अनुसार भारत को ट्रेनिंग मिलेगी। लॉन्च यूनिट्स की रिफर्बिशिंग होगी और सिक्योरिटी इंस्पेक्शन और लाइफसाइकिल सपोर्ट शामिल है। यानी भारत इन हथियारों को बिना किसी परेशानी के अपनी सेना में इंटीग्रेट कर पाएगा।
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