US Tariffs: ट्रंप के सहयोगी के जहरीले बोल, कहा- 2 महीने में माफी मांगेगा भारत

Published : Sep 05, 2025, 11:15 PM IST
Howard Lutnick and Trump

सार

अमेरिका के वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने कहा है कि 50% टैरिफ के चलते भारत 2 महीने में माफी मांगेगा। भारत रूस से कच्चा तेल खरीदना बंद करे, ब्रिक्स से बहार निकल जाए। नहीं तो 50% टैरिफ जारी रहेगा।

Trump Tariffs: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50% टैरिफ लगाया है। उन्होंने रूस से कच्चा तेल खरीदना बंद करने के लिए कहा है। भारत ने साफ बता दिया है कि दबाव के आगे झुकने वाले नहीं हैं। ऐसे में ट्रंप और उनके प्रशासन के लोग भारत के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं।

इसी क्रम में अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने भारत को लेकर जहरीली बातें कहीं हैं। उन्होंने भविष्यवाणी की है कि भारत टैरिफ के चलते अमेरिका के दबाव में आ जाएगा। रूस के साथ भारत के बढ़ते तेल व्यापार के बारे में बोलते हुए, ट्रंप के सहयोगी ने कहा कि भारत लंबे समय तक अमेरिका की अवहेलना नहीं कर सकता।

लुटनिक ने कहा कि अगर भारत अपना रुख नहीं बदलता है तो उसे अमेरिका को होने वाले अपने निर्यात पर 50% का भारी शुल्क झेलना पड़ सकता है। यूएस कनाडा टैरिफ विवाद की तुलना करते हुए, लुटनिक ने कहा कि जवाबी कार्रवाई से केवल छोटी अर्थव्यवस्थाओं को ही नुकसान होगा। उन्होंने कहा,

यह सब दिखावा है। सबसे बड़े ग्राहक से लड़ना अच्छा लगता है। लेकिन अंत में व्यवसाय अमेरिका के साथ समझौते की मांग करेंगे।

 

 

दो महीने में भारत मांगेगा माफी

ल्यूटनिक ने कहा, "एक या दो महीने के भीतर, संभव है कि भारत बातचीत की मेज पर वापस आ जाएगा। मुझे लगता है, हां, एक या दो महीने में भारत बातचीत की मेज पर होगा और माफी मांगेगा। डोनाल्ड ट्रंप के साथ समझौता करने की कोशिश करेगा। यह डोनाल्ड ट्रंप के डेस्क पर होगा कि वह (नरेंद्र) मोदी से कैसे निपटना चाहते हैं। हम यह उन पर छोड़ते हैं। वह राष्ट्रपति हैं।"

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ब्रिक्स से बाहर आए भारत, नहीं खरीदे रूसी तेल

ल्यूटनिक ने भारत को कड़ी चेतावनी दी। अमेरिका के 50 प्रतिशत टैरिफ से बचने के लिए तीन शर्तें रखीं। कहा कि भारत को अमेरिका के साथ गठबंधन करने या ब्रिक्स के जरिए रूस और चीन के साथ संबंध मजबूत करने में से एक चुनना होगा। उन्होंने कहा,

भारत अपना बाजार खोलना नहीं चाहता। रूसी तेल खरीदना बंद करें। ब्रिक्स का हिस्सा होने बंद करें। अगर आप रूस और चीन के बीच पुल बनना चाहते हैं तो जाएं। डॉलर और अमेरिका को सपोर्ट करें। अपने सबसे बड़े ग्राहक को सपोर्ट करें या फिर 50 फीसदी टैरिफ दें। अब देखना है कि यह सब कितने समय चलेगा।

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