
वाशिंगटन। अमेरिकी सरकार ने पिछले दिनों वाशिंगटन स्थित भारतीय दूतावास के बाहर खालिस्तान समर्थकों द्वारा किए गए उपद्रव की निंदा की है और कहा है कि हिंसा कभी स्वीकार नहीं की जा सकती। अमेरिका ने कहा कि विरोध का मतलब यह नहीं है कि हिंसा की जाए या धमकी दी जाए। यह "गंभीर चिंता" का विषय है।
शनिवार को खालिस्तान समर्थकों ने अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन स्थित भारतीय दूतावास के बाहर विरोध प्रदर्शन किया था। इस दौरान अमेरिका में भारत के राजदूत तरनजीत सिंह संधू को धमकी दी गई थी। इस घटना के बाद अमेरिका के विदेश विभाग ने यह प्रतिक्रिया दी है।
राजदूत तरणजीत सिंह संधू को दी धमकी
विरोध प्रदर्शन के दौरान खालिस्तान समर्थकों ने भारत के राजदूत तरणजीत सिंह संधू को धमकी दी थी कि उनका वही हश्र हो सकता है जो 1994 में भारत के पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह का हुआ था। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा, "संयुक्त राज्य अमेरिका में राजनयिक सुविधाओं और कर्मियों के खिलाफ हिंसा या हिंसा की धमकी एक गंभीर चिंता है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।"
वाणिज्य दूतावास पर खालिस्तान समर्थकों ने किया था हमला
दरअसल, पिछले कुछ दिनों में वाशिंगटन स्थित भारतीय दूतावास और सैन फ्रांसिस्को स्थित वाणिज्य दूतावास के बाहर खालिस्तान समर्थकों द्वारा विरोध प्रदर्शन की कई घटनाएं हुई हैं। सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर 20 मार्च को हमला किया गया था। इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया गया था। इसमें खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल के समर्थन में नारेबाजी करते हुए और कर्मचारियों के साथ मारपीट करते हुए दिखाई दे रहे थे।
इन घटनाओं पर अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा, "अमेरिका भारतीय राजनयिक सुविधाओं पर विरोध प्रदर्शन के दौरान हुईं हिंसा की निंदा करता है। हिंसा या हिंसा की धमकी कभी भी विरोध का स्वीकार्य रूप नहीं है।"
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सड़क हादसे के चलते हुई थी ज्ञानी जैल सिंह की मौत
गौरतलब है कि पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह की मौत सड़क हादसे के चलते 25 दिसंबर 1994 को हुई थी। 1994 में तख्तश्री केशगढ़ जाते समय उनकी कार हादसे का शिकार हो गई थी। इलाज के लिए उन्हें पीजीआई चंडीगढ़ में भर्ती कराया गया था, लेकिन उनकी जान नहीं बच पाई थी।
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