इजराइल-हमास जंग के बीच अमेरिका ने ईरान को दिया तगड़ा झटका, किया ये काम

इजराइल-हमास युद्ध के बीच अमेरिका ने ईरान को एक तगड़ा झटका दिया है। दरअसल, अमेरिका ने ईरान के सीज किए गए 6 बिलियन डॉलर की रकम को रोक दिया है। ये पैसा फिलहाल कतर के सेंट्रल बैंक में है।  

US Rejects Iran 6 Billion Dollar: इजराइल-हमास युद्ध के बीच अमेरिका ने ईरान को एक तगड़ा झटका दिया है। दरअसल, पिछले महीने अमेरिका और ईरान के बीच एक डील हुई थी, जिसमें ईरान ने उसकी जेलों में कैद 5 अमेरिकी नागरिकों को रिहा किया था। इसके बदले अमेरिका ने विदेशों में सीज की गई ईरान की संपत्ति के 6 बिलियन डॉलर कतर स्थित बैंक में ट्रांसफर किए थे। हालांकि, अब इजराइल-हमास जंग के चलते अमेरिका ने ईरान का ये पैसा रोक दिया है।

ईरान को मिलने वाली थी 49 हजार करोड़ रुपए की रकम

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विदेशों में सीज ईरान की संपत्तियों के 6 बिलियन डॉलर यानी करीब 49 हजार करोड़ रुपए ईरान को मिलने वाले थे। लेकिन इजराइल से हमास की जंग में ईरान का नाम सामने आने के बाद अमेरिका के डिप्टी ट्रेजरी सेक्रेटरी वैली एडियोम ने इसे रोक दिया है। एडियोम का कहना है कि ईरान को फिलहाल 6 बिलियन डॉलर का एक्सेस नहीं मिलेगा।

कहां से आए 49 हजार करोड़

ईरान के 41 लाख करोड़ रुपए का फंड अमेरिकी पाबंदियों के चलते दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में रुका हुआ है।अमेरिका की तरफ से पिछले महीने रिलीज किए गए 49 हजार करोड़ रुपए उसी का हिस्सा हैं। इजराइल, अमेरिका और पश्चिमी देश नहीं चाहते कि ईरान परमाणु शक्ति बने।

कतर के सेंट्रल बैंक में ट्रांसफर हुई थी रकम

बता दें कि 49 हजार करोड़ रुपए की रकम अमेरिका ने सीधे ईरान को न देते हुए कतर के दोहा सेंट्रेल बैंक में ट्रांसफर की थी। ​​​​​कतर ने ही ईरान और अमेरिका में समझौता कराने के लिए मध्यस्थता की थी। इस डील के तहत ईरान ने अपनी एविन जेल से अमेरिकियों को छोड़ दिया था। इसके बदले अमेरिका ने ईरान की सीज की गई संपत्ति लौटाने की बात कही थी।

अमेरिका ने क्यों लगाईं ईरान पर पाबंदियां?

दरअसल, 2015 में ईरान ने चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन, जर्मनी और अमेरिका के साथ मिलकर एक परमाणु समझौता किया था। ये समझौता इसलिए किया गया था, क्योंकि पश्चिमी देशों को ये शंका थी कि ईरान परमाणु बम बना सकता है। ऐसे में ईरान के साथ परमाणु समझौता कर उसकी न्यूक्लियर कैपेसिटी को सीमित करने के साथ ही उसे अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के जरिए निगरानी में रखा गया। इसके बदले ईरान पर लगे तमाम तरह के बैन हटा लिए गए। हालांकि, 2018 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान को न्यूक्लियर डील समझौते से बाहर करते हुए एक बार फिर उस पर प्रतिबंध लगा दिए थे।

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