US Visa Crackdown: Google-Apple ने अचानक कर्मचारियों को विदेश न जाने की चेतावनी क्यों दी?

Published : Dec 21, 2025, 07:16 AM IST
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सार

US Visa Crackdown: अमेरिकी वीज़ा नियमों में सख्ती से Google और Apple ने विदेशी कर्मचारियों को विदेश यात्रा से बचने की चेतावनी दी है। क्या H-1B वीज़ा पर बढ़ी जांच, लंबी देरी और नई फीस से टेक वर्कर्स में चिंता बढ़ी है।  

US Visa Policy Tightened: अमेरिका में काम कर रहे विदेशी मूल के कर्मचारियों के बीच इन दिनों डर और अनिश्चितता का माहौल है। वजह है ट्रंप प्रशासन की सख्त होती इमिग्रेशन नीतियां। इसी डर को देखते हुए टेक दिग्गज कंपनियां गूगल और एप्पल अपने कुछ कर्मचारियों को विदेश यात्रा से बचने की सलाह दे रही हैं। कंपनियों का साफ कहना है कि अगर कर्मचारी अमेरिका से बाहर गए, तो कड़ी जांच और लंबी वीज़ा प्रक्रिया के कारण वे वापस लौटने में फंस सकते हैं।

गूगल और एप्पल ने कर्मचारियों को क्या चेतावनी दी है?

बिजनेस इनसाइडर की रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों कंपनियों ने अंदरूनी मेमो जारी किए हैं। इनमें खास तौर पर H-1B और अन्य वर्क वीज़ा पर अमेरिका में रह रहे कर्मचारियों को अलर्ट किया गया है। चेतावनी में कहा गया है कि ट्रंप प्रशासन के तहत वीज़ा जांच पहले से कहीं ज्यादा सख्त हो चुकी है, जिससे इंटरनेशनल ट्रैवल अब जोखिम भरा हो सकता है।

अमेरिकी दूतावासों में वीज़ा अपॉइंटमेंट क्यों फंस रहे हैं?

अमेरिकी दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों में वीज़ा अपॉइंटमेंट की प्रक्रिया अब बेहद धीमी हो गई है। नए डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) नियमों के तहत यात्रियों को पिछले पांच साल की सोशल मीडिया हिस्ट्री जमा करनी पड़ रही है। इस अतिरिक्त जांच के कारण कई मामलों में वीज़ा अपॉइंटमेंट में महीनों की देरी हो रही है।

लॉ फर्म्स ने कर्मचारियों को क्या सलाह दी है?

गूगल के साथ काम करने वाली लॉ फर्म Berry Appleman & Leiden ने कर्मचारियों को साफ शब्दों में कहा है कि फिलहाल इंटरनेशनल ट्रैवल से बचना ही बेहतर है, क्योंकि अमेरिका से बाहर लंबे समय तक फंसने का खतरा है। वहीं एप्पल की इमिग्रेशन लॉ फर्म Fragomen ने भी चेतावनी दी है कि जिन कर्मचारियों के पास वैध H-1B वीज़ा स्टैम्प नहीं है, वे विदेश यात्रा न करें।

H-1B वीज़ा पर नई फीस ने क्यों बढ़ाई चिंता?

इस साल की शुरुआत में व्हाइट हाउस ने बड़ा ऐलान किया था कि हर नए H-1B वीज़ा के लिए कंपनियों को $100,000 फीस देनी होगी। H-1B वीज़ा आमतौर पर तीन साल के लिए होता है और रिन्यूअल के लिए कर्मचारियों को अपने देश जाकर इंटरव्यू देना पड़ता है। लेकिन अब यह प्रक्रिया भी महीनों तक लटक सकती है।

भारत गए H-1B वीज़ा धारकों के साथ क्या हुआ?

द वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, भारत गए सैकड़ों H-1B वीज़ा धारकों के अपॉइंटमेंट अचानक स्थगित कर दिए गए। अमेरिकी विदेश विभाग का कहना है कि यह कदम राष्ट्रीय और सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।

विदेशी कर्मचारियों की नौकरी और कानूनी स्थिति क्यों खतरे में है?

गूगल में Alphabet Workers Union ने H-1B कर्मचारियों के लिए मजबूत सुरक्षा की मांग की है। यूनियन लीडर पारुल कौल के अनुसार, अगर किसी कर्मचारी की नौकरी चली जाती है, तो उसकी वीज़ा स्पॉन्सरशिप भी खत्म हो सकती है, जिससे उसका कानूनी स्टेटस खतरे में पड़ जाता है। अमेरिका में सख्त होती वीज़ा नीतियों ने विदेशी कर्मचारियों की चिंता बढ़ा दी है। गूगल और एप्पल की चेतावनी इस बात का संकेत है कि आने वाले समय में H-1B वीज़ा धारकों के लिए हालात और चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं।

 

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