US और ईरान के बीच हुआ युद्ध; तो भारत पर पड़ेगा असर, मोदी सरकार के सामने होंगी ये 10 चुनौतियां

अमेरिका और ईरान के बीच जारी तनाव से भारत की चिंता बढ़ा दी है। ऐसे में भारत दोनों देशों से लगातार संपर्क कर रहा है। बताया जा रहा कि दोनों देशों के बीच यदि युद्ध होता है तो भारत को कच्चे तेल, खाड़ी देशों में रह रहे लोगों, बेरोजगारी, आर्थिक मंदी आदि मुद्दों पर करारा झटका लग सकता है। ऐसे में भारत लगातार दोनों से संपर्क कर मध्यस्थता करने की कोशिश कर रहा है।  

Asianet News Hindi | Published : Jan 6, 2020 12:28 PM IST

नई दिल्ली. अमेरिका और ईरान के बीच जारी तनाव से भारत की चिंता बढ़ गई है। मौजूदा परिस्थिति में भारत के लिए जितना अहम अमेरिका है, उतना ही ईरान। इन दोनों देशों के बीच जंग से भारत को दोहरा झटका लगेगा। इसलिए भारत लगातार दोनों देशों के संपर्क में है और तनाव कम करने में भूमिका निभा रहा है। विदेश मंत्री एस जयशंकर हालात पर नजर बनाए हुए हैं। 

लाखों भारतीयों को लाना होगा वापस 

अगर ईरान और अमेरिका के बीच युद्ध छिड़ता है तो ऐसी स्थिति में भारत को खाड़ी इलाके से अपने नागरिकों को निकालने में ओमान और यूएई की मदद लेनी पड़ सकती है। इन दोनों देशों में लाखों भारतीय रहते हैं। इससे पहले भी इन इलाकों में युद्ध की स्थिति में भारत को अपने नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकालना पड़ा था। साथ ही ये दोनों देश भारत के प्रमुख तेल आपूर्तिकर्ता भी हैं।

रहते हैं 80 लाख भारतीय 

जारी आंकड़ों के मुताबिक पश्चिम एशियाई देशों में करीब 80 लाख भारतीय रहते हैं। इसमें से ज्यादातर लोग फारस की खाड़ी के तटीय इलाकों में रहते हैं। बड़ी तादाद में भारतीय ईरान के करीब संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, कतर और कुवैत में रहते हैं। विदेश मंत्रालय के मुताबिक अकेले ईरान में 4000 भारतीय रहते हैं। 

अमेरिका पाकिस्तान को दे सकता है आर्थिक मदद 

माना जा रहा है कि ईरान के साथ बढ़ते तनाव के बीच ट्रंप प्रशासन को इन इलाकों में अपनी मजबूत पकड़ बनाने के लिए पाकिस्तान की जरूरत होगी। अपने पाले में पाकिस्तान को लाने के लिए अमेरिका पाकिस्तान को आर्थिक मदद कर सकता है। इससे आतंकवाद पर पाकिस्तान को घेरने की भारतीय मुहिम को झटका लग सकता है। साथ ही अफगानिस्तान में भी भारत के हितों को नुकसान हो सकता है। यही वजह है कि भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ईरान से संपर्क साधा है। 

कच्चे तेल की दामों में उछाल 

भारत अपनी जरूरत का 83 फीसदी तेल आयात करता है। अमेरिका और ईरान में तनाव से कच्चे तेल की कीमतों में भी लगातार इजाफा हो रहा है। शुक्रवार को ब्रेंट कच्चा तेल 4.4 फीसदी चढ़कर 69.16 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया था। वहीं, शुक्रवार को रुपया 42 पैसे टूटकर 71.80 प्रति डॉलर पर आ गया था। जंग की स्थिति में फॉरेन एक्सचेंज पर भी असर पड़ेगा। फॉरेन एक्सचेंज बढ़ा तो मंदी और गहरा जाएगी। खाने-पीने की चीजें, ट्रांसपोर्ट, रेलवे, प्राइवेट ट्रांसपोर्ट पर भी असर बुरा असर होगा। जिससे बेरोजगारी और बढ़ जाएगी। 

महंगा तेल का लग सकता है झटका 

जिस प्रकार से दोनों देशों के बीच जिस प्रकार तनातनी अपने चरम पर है। ऐसे में यदि युद्ध हुआ तो भारत को कच्चा तेल आयात करने में भी दिक्कत आएगी। हालांकि बीते दो सालों में ईरान और अमेरिका के बीच जारी तनाव से भारत ने ईरानी तेल आयात को बहुत कम कर दिया है। लेकिन अब भी देश में तेल बड़ी तादाद में ईराक, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात से आयात होता है। जिसका भारत तक पहुंचने का रास्ता फारस की खाड़ी में होर्मुज गलियारे से होकर गुजरता है। आर्थिक मंदी के इस दौर में भारत के लिए मंहगा तेल आयात जेब पर बहुत भारी पड़ सकता है।

शेयर बाजार और निवेशकों को झटका 

अमेरिका और ईरान के एक दूसरे से टकराने का असर दुनियाभर के शेयर बाजारों पर दिख रहा है। भारतीय शेयर बाजार भी इससे अछूता नहीं है। शुक्रवार को सेंसेक्स 162.03 अंक की गिरावट के साथ 41,464.61 पर बंद हुआ, निफ्टी की क्लोजिंग 55.55 प्वाइंट नीचे 12,226.65 पर हुई थी। उसके बाद सोमवार को भी बाजार में भूचाल आ गया है। सेंसेक्स 700 अंक और निफ्टी 200 से ज्याद अंक लुढ़क गया। विदेशी निवेशक बड़े पैमाने से भारतीय बाजार से पैसे निकाल रहे हैं। इसके साथ ही भारतीय निवेशक भी घबड़ाए हुए हैं। 

सोना होगा कीमती 

आर्थिक अनिश्चितता के दौरान में हर निवेशक सोने जैसे सुरक्षित विकल्प को अपना रहे हैं। जिससे सोने की कीमत लगातार बढ़ती जा रही है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने का भाव चार महीने के ऊंचे स्तर पर है। भारत के हाजिर और वायदा बाजार में सोमवार को सोना 41,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर को तोड़ते हुए नई ऊंचाई पर चला गया है। 

बढ़ेगी महंगाई दर 

कच्चे तेल के दाम बढ़ने से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में इजाफा होगा। तेल के दाम बढ़ने से महंगाई बढ़ेगी। इसका सीधा असर लोगों की जेब पर पड़ेगा। सरकार लगातार महंगाई दर पर काबू पाने की कोशिश कर रही है। अमेरिका-ईरान के बीच युद्ध की स्थिति में महंगाई दर के मोर्चे पर सरकार को तगड़ा झटका लग सकता है। नवंबर में खुदरा महंगाई दर में खासी बढ़ोतरी दर्ज की गई। नवंबर में खुदरा महंगाई दर 4.62 फीसदी से बढ़कर 5.54 फीसदी हो गई। 

बढ़ेगा वित्तीय घाटा 

मोदी सरकार हर हाल से इकोनॉमी को रफ्तार देने के लिए वित्तीय घाटे को कम करने में जुटी है। 30 नवंबर तक देश का वित्तीय घाटा 8.07 लाख करोड़ रुपये है। वित्तीय घाटे पर लगाम लगेगा तभी आर्थिक विकास संभव है। इन सब के बीच वैश्विक स्तर पर ईरान और अमेरिका में तनाव से सरकार की आमदनी घट जाएगी और खर्चा बढ़ जाएगा। 

रेल और बंदरगाह परियोजना को लगगे झटका 

भारत के अमेरिका और ईरान दोनों के साथ अच्छे ताल्लुकात हैं। निवेश के नजरिये से भी ये दोनों देश भारत के लिए अहम है। अमेरिका और ईरान के बीच युद्ध होने पर भारत को काफी बड़ा आर्थिक नुकसान होगा। भारत का 100 बिलियन से ज्यादा का व्यापार खाड़ी देशों से होता है, और बड़े पैमाने पर निवेश भी इन इलाकों से है। खासकर चाबहार बंदरगाह पर असर पड़ सकता है। भारत और ईरान के बीच साल 2014 में चाबहार बंदरगाह और जाहेदान रेल परियोजना को लेकर करार हुआ था। दोनों देशों के बीच चाबहार बंदरगाह को विकसित करने के लिए भारत के 85 मिलियन डॉलर निवेश का समझौता हुआ था, युद्ध की स्थिति में इस पर भी असर पड़ेगा। 

चाय और चावल के निर्यात पर लगेगा ब्रेक 

पिछले वित्त वर्ष में भारत ने 32,800 करोड़ रुपये के बासमती चावल का निर्यात किया था। जिसमें से करीब 10,800 करोड़ रुपये का बासमती चावल केवल ईरान को निर्यात किया गया था। जिसके बाद इस बार भी बड़े पैमाने से चावल निर्यात को लेकर ईरान से समझौता हुआ है। लेकिन युद्ध की स्थिति में निर्यात पर असर पड़ना लाजिमी है। इसके अलावा चाय के निर्यात को झटका लग सकता है। 

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