मध्य एशियाई देश उज्बेकिस्तान में मेड इन इंडिया कफ सिरप पीने से हुई 19 बच्चों की मौत के बाद वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन(WHO) ने अलर्ट जारी किया है। इसमें भारत के मैरियन बायोटेक द्वारा निर्मित खांसी के दो सिरप बच्चों को नहीं पिलाने को कहा है। ये हैं-एम्बरोनॉल सिरप और डीओके-1 मैक्स हैं।
नई दिल्ली. मध्य एशियाई देश उज्बेकिस्तान (Uzbekistan) में मेड इन इंडिया कफ सिरप पीने से हुई 19 बच्चों की मौत के बाद वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन(WHO) ने अलर्ट जारी किया है। इसमें भारत के मैरियन बायोटेक द्वारा निर्मित खांसी के दो सिरप बच्चों को नहीं पिलाने को कहा है। ये हैं- 1 - एम्बरोनॉल सिरप और 2 - डीओके-1 मैक्स हैं। इनका निर्माण नोएडा बेस्ड कंपनी मैरियन बायोटेक करती है।
WHO के मुताबिक, जांच में पता चला है कि ये दोनों सिरप अच्छी क्वालिटी के नहीं हैं। इनमें दूषित पदार्थों के रूप में डायथिलीन ग्लाइकोल या एथिलीन ग्लाइकोल की सही मात्रा नहीं मिली है। बता दें कि इससे पहले पश्चिमी अफ्रीकी देश गाम्बिया में भारतीय फॉर्मास्यूटिकल्स कंपनी के कफ सीरप को पीने से 66 बच्चों की कथित मौत का मामला उछला था। हालांकि गाम्बिया सरकार ने यह आरोप वापस ले लिया था। पढ़िए पूरी डिटेल्स...
पिछले दिनों उज्बेकिस्तान ने दावा किया था कि कथित तौर पर भारत निर्मित खांसी की दवाई लेने से देश में कम से कम 19 बच्चों की मौत हो गई है। हालांकि भारत दावों की जांच करने के लिए तैयार हुआ था।सरकार ने इस दवा कंपनी के पूरे प्रोडक्शन को रोक दिया था। मामले की जांच तक यहां किसी भी दवा का निर्माण नहीं होगा। स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने ट्वीट करके यह जानकारी दी थी। उन्होंने बताया कि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन की टीम ने कफ सिरप की जांच की थी। रिपोर्ट में बताया गया है कि कफ सिरप दूषित है। इसके चलते मैरियन बायोटेक के नोयडा यूनिट में सभी तरह की दवाओं का निर्माण रोक दिया गया है। इस मामले में आगे की जांच जारी है। क्लिक करके पढ़ें पूरी डिटेल्स
दरअसल, उज्बेकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने 28 दिसंबर, 2022 को जारी एक बयान में कहा था कि मरने वाले बच्चों ने नोएडा स्थित मैरियन बायोटेक द्वारा निर्मित कफ सिरप डॉक्टर-1 मैक्स(Doc-1 Max-Marion Biotech) का सेवन किया था। मंत्रालय ने कहा कि सिरप के एक बैच की लैब टेस्टिंग में एथिलीन ग्लाइकॉल की मौजूदगी पाई गई है, जो एक जहरीला पदार्थ है। WHO ने इसी मामले में सिरप की जांच की है। WHO का दावा है कि इन कफ सिरपर में ethylene glycol कार्बन कंपाउंड है। यह गंध और कलर रहित होता है। इसे सिरप में मिलाने का उद्देश्य यह है कि ये मीठा होता है। इससे बच्चे सिरप आसानी से पी लेते हैं। अगर इसकी मात्रा असंतुलित हो जाए, तो ये जानलेवा बन सकता है। कई देशों में यह बैन है। क्लिक करके पढ़ें पूरी डिटेल्स
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