सूडान हो रही हिंसा की नींव साल 2019 में रखी गई थी। उस समय देश में ओमर अल-बशीर की सरकार थी और वह सूडान के राष्ट्रपति थे।
खार्तूम: अफ्रीकी देश सूडान में भीषण हिंसा जारी है। यहां सेना और अर्धसैनिक बलों के बीच संघर्ष हो रहा है। इस संघर्ष के चलते अब तक 400 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं जबकि हजारों की संख्या में लोग घायल हो चुके हैं। राजधानी खार्तूम और उसके आसपास के इलाकों में बिजली व खाद्य पदार्थों की आपूर्ति नहीं होने से लोग बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। लड़ाई में घायल लोगों को अस्पताल पहुंचाना मुश्किल हो रहा है। उल्लेखनीय है कि सूडान हो रही हिंसा की नींव साल 2019 में रखी गई थी। उस समय देश में ओमर अल-बशीर की सरकार थी और वह सूडान के राष्ट्रपति थे। लेकिन इसी दौरान लोगों ने ओमर अल-बशीर को पद से हटाने के लिए प्रदर्शन किया। सेना ने इसमें दखल देते हुए तख्तापलट कर दिया और राष्ट्रपति अल-बशीर को पद से हटा दिया।
तख्तापलट के बाद सूडान में सेना का राज स्थापित हो गया। हालांकि, लोग देश में लोकतांत्रिक सरकार की मांग करने लगे। लोगों की मांग को देखते हुए सूडान में जॉइंट सरकार का गठन किया गया। इस दौरान सेना और पैरामिलिट्री RSF ने मिलकर काउंसिल गवर्नमेंट बनाई। इस काउंसिल गवर्नमेंट की अगुआई फतह अल-बुरहान कर रहे हैं। वहीं, पैरामिलिट्री की अगुआई जनरल मोहम्मद हमदान डगलो के हाथ है। जनरल डगलो सरकार में डिप्टी हैं।
सूडान में क्यों शुरू हुई हिंसा?
बता दें कि सूडान की आर्मी चाहती है कि 2 साल बाद वहां चुनाव करवाकर सत्ता जनता की चुनी हुई सरकार को सौंप दी जाए। वहीं, आरएसएफ चाहती है चुनाव 10 साल बाद हों। इसी को लेकर दोनों के बीच बवाल हो गया है। इसके अलावा बवाल की एक और वजह ‘आरएसएफ’ के सेना में विलय को भी माना जा रहा है। दोनों के बीच इस बात को लेकर भी सहमति नहीं बन पाई है कि अगर आरएसएफ का सेना में विलय हो जाता है तो फिर नई सेना का नेतृत्व कौन करेगा।
क्या सोने बन रहा है अभिशाप?
पूरे अफ्रीकी महाद्वीप में सबसे बड़ा सोने का भंडार सूडान में है। साल 2022 में ही सूडान ने 41.8 टन सोने के निर्यात से 2.5 अरब डॉलर कमाए थे। देश के सबसे मुनाफे वाली सोने की खदानों पर पैरामिलिट्री RSF का कब्जा है, जो अपनी गतिविधियों के लिए सोने को खार्तूम सरकार के साथ पड़ोसी मुल्कों को भी बेचते हैं। सेना की आंखों में यह खटक रहा है।
सूडान में तेल का भंडार
इसके अलावा सूडान हिंसा के लिए कच्चे तेल के भंडार भी जिम्मेदार है। सूडान बड़ी मात्रा में तेल बेचकर पैसा कमाता है। सूडान से भारत सहित कई देश बड़ी मात्रा में कच्चे तेल निर्यात करते हैं। ऐसे में सेना और आरएसएफ दोनों की नजर देश के तेल भंडारों पर है।