आज होगा अफगानिस्तान में Talibani सरकार का गठन; महिलाओं को मिलेगी तवज्जो या नहीं; दुनियाभर की नजरें टिकीं

15 अगस्त को काबुल पर कब्जा जमाने के बाद अब Taliban अफगानिस्तान में अपनी सरकार का गठन करने जा रहा है। सरकार में महिलाओं की भागीदारी रहेगी या नहीं, इसे लेकर सबकी नजरें टिकीं हुई हैं।

काबुल. अफगानिस्तान में आज Talibani सरकार का गठन हो सकता है। हालांकि इसकी घोषणा शुक्रवार को होनी थी, पर एक दिन इसे टालना पड़ा। तालिबान के प्रवक्ता ज़बीउल्लाह मुजाहिद ने यह जानकारी दी थी। कतर की राजधानी दोहा में स्थित तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के अध्यक्ष मुल्ला अब्दुल गनी बरादर तालिबान की सरकार के मुखिया हो सकते हैं। तालिबान की सरकार का गठन ईरानी नेतृत्व की तर्ज पर होगा। यानी इसमें तालिबान के टॉप धार्मिक नेता मुल्ला हेबतुल्लाह अखुनजादा अफगानिस्तान में सर्वोच्च प्राधिकारी होंगे। अखुनजादा 15 साल तक बलूचिस्तान प्रांत के कछलाक इलाके में एक मस्जिद में कामकाज संभालते रहे हैं।

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महिलाओं की भागीदारी को लेकर प्रदर्शन
इस बीच शुक्रवार को काबुल में महिलाओं ने सरकार में अपनी भागीदारी को लेकर प्रदर्शन किया। बता दें कि तालिबान शरिया कानून का पक्षधर है। पिछली बार जब अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार थी, तब महिलाओं को कोई तवज्जो नहीं दी गई थी। यही नहीं, उन्हें पढ़ने और फैशन आदि की आजादी भी नहीं थी। हालांकि इस बार तालिबान का रुख थोड़ा नरम है। 

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पिछले एक हफ्ते से चल रही थी कवायद
तालिबान सरकार के गठन से पहले बाकी व्यवस्थाओं में लगा हुआ था। प्रांतों का चीफ गर्वनरों के हवाले किया गया है। तालिबान पहले ही प्रांतों और जिलों में गवर्नर, पुलिस प्रमुख और पुलिस कमांडरों की नियुक्ति कर चुका है।

कश्मीर के मुद्दे पर भारत ने तालिबान को दिया जवाब
इधर, सरकार के ऐलान से पहले कश्मीर मुद्दे पर बयान देने वाले तालिबान की भारत ने खिंचाई कर दी। केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने शुक्रवार ने दो टूक कहा कि भारत संविधान का पालन करता है। यहां मस्जिदों में दुआ करने वालों पर गोलियों या बम नहीं बरसाए जाते हैं। लड़कियों को स्कूल जाने से रोका नहीं जाता है। बता दें कि तालिबान ने कहा था कि उसे कश्मीर समेत दुनियाभर के मुसलमानों की आवाज उठाने का हक है। 

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कौन है मुल्ला बरादर, जिसे पाकिस्तान ने कर लिया था कैद
मुल्ला बरादर का पूरा नाम अब्दुल गनी बरादर है। तालिबान के पहले नेता मोहम्मद उमर ने 'बरादर' उपनाम दिया, जिसका मतलब है भाई। मुल्ला बरादर ने 1996 से 2001 तक तालिबान के शासन में कई बड़े पदों पर काम किया। 2001 में तालिबान सरकार पर अमेरिकी के अटैक के बाद वह पाकिस्तान में चला गया। मुल्ला को साल 2010 में पाकिस्तान ने कैद कर लिया। कैद करने के पीछे वजह ये बताई गई कि वह पाकिस्तान को बताए बिना गुप्त तरीके से अफगान सरकार के साथ शांति समझौते पर चर्चा कर रहा था। अमेरिका के कहने पर उसे 2018 में रिहा कर दिया गया। क्लिक करके पढ़ें

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