गुवाहाटी. प्रमुख इस्लामी संगठन जमीयत उलेमा( Jamiat Ulema, a key Islamic organisation) की असम इकाई ने मुसलमानों से ईद-उज-जुहा या बकरीद के अवसर पर गायों की बलि नहीं देने की अपील की है, ताकि हिंदुओं की धार्मिक भावनाएं आहत न हों। संगठन की राज्य इकाई के प्रमुख बदरुद्दीन अजमल ने कहा कि चूंकि 'कुर्बानी' त्योहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, इसलिए गायों के अलावा अन्य जानवरों की बलि दी जा सकती है। पॉलिटिकल पार्टी AIUDF के प्रेसिडेंट और धुबरी से सांसद अजमल ने एक बयान में कहा, "हिंदू धर्म का सनातन धर्म गाय को अपनी मां के रूप में मानता है और उनकी पूजा करता है। हमें उनकी धार्मिक भावनाओं को आहत नहीं करना चाहिए।" अजमल ने कहा कि, इस्लामिक मदरसा दारुल उलूम देवबंद ने 2008 में एक सार्वजनिक अपील जारी की थी कि त्योहार के अवसर पर 'कुर्बानी' (बलिदान) के हिस्से के रूप में गाय की बलि न दी जाए। धुबरी के सांसद ने कहा, "मैं फिर से वही अपील दोहरा रहा हूं और अपने साथी विश्वासियों से एक वैकल्पिक जानवर की बलि देने का आग्रह कर रहा हूं, न कि गाय की, ताकि देश की बहुसंख्यक आबादी की धार्मिक भावना को ठेस न पहुंचे।" अजमल ने कहा कि ईद-उज-जुहा के दौरान ऊंट, बकरी, भैंस, भेड़ और अन्य जानवरों की बलि दी जा सकती है। बता दें कि ईद-उज-जुहा या 'बकरीद' 10 जुलाई को पड़ने की संभावना है। इधर, केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को निर्देश दिए हैं कि बकरीद पर लोग सार्वजनिक रूप से पशुओं की कुर्बानी न दें। जानिए कौन हैं हिंदुओं का फेवर कर रहे सांसद बदरुद्दीन...