रिपोर्टों के अनुसार, बिहार के इस गांव के 85% लोग पढ़े-लिखे हैं। गांव का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। इस गांव में न तो शराब पाई जाती है और न ही बनाई जाती है। लोग शराब से कोसों दूर हैं। कोई राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता भी नहीं है और न ही कोई जातिगत भेदभाव।