Nagpanchami Upay: श्रावण शुक्ल पंचमी तिथि को नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 21 अगस्त, सोमवार को है। इस दिन नागदेवता की पूजा करने का विधान है। इस दिन कुछ खास उपाय किए जाएं तो शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
Surya Gochar 2023: 17 अगस्त को सूर्य कर्क से निकलकर सिंह राशि में आ चुका है। इस राशि में सूर्य अगले 30 दिन तक रहेगा। सूर्य के इस राशि परिवर्तन का असर सभी राशि के लोगों पर शुभ-अशुभ रूप में देखने को मिलेगा।
Teej Kab ki hai: श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज का कहते हैं। इस दिन देवी पार्वती के साथ महादेव की पूजा का भी विधान है। मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और सौभाग्य अखंड रहता है।
अंक ज्योतिष के अनुसार, सभी मूल अंक यानी 1 से लेकर 9 तक पर किसी न किसी ग्रह का प्रभाव जरूर होता है। यही ग्रह उन अंकों से जुड़े लोगों को प्रभावित करते हैं। अंक ज्योतिष से किसी भी व्यक्ति के जीवन के बारे में काफी कुछ जाना जा सकता है।
समरी- 17 अगस्त, गुरुवार को पहले मघा नक्षत्र होने से मूसल और इसके बाद पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र होने से गद नाम के योग बनेंगे। इनके अलावा इस दिन परिघ और शिव नाम के 2 अन्य योग भी रहेंगे। राहुकाल दोपहर 02:06 से 03:42 तक रहेगा।
17 अगस्त, गुरुवार को पहले मघा नक्षत्र होने से मूसल और इसके बाद पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र होने से गद नाम के योग बनेंगे। इनके अलावा इस दिन परिघ और शिव नाम के 2 अन्य योग भी रहेंगे। राहुकाल दोपहर 02:06 से 03:42 तक रहेगा।
अंक ज्योतिष का अपना एक अलग महत्व है। इसे न्यूमरोलॉजी भी कहते हैं। इसके माध्यम से किसी भी व्यक्ति के भूत, भविष्य और वर्तमान के बारे में जाना जा सकता है। अंक ज्योतिष वैदिक ज्योतिष से भी प्रभावित है।
16 अगस्त, बुधवार को पहले आश्लेषा नक्षत्र होने से राक्षस और इसके बाद मघा नक्षत्र होने से चर नाम का योग बनेगा। इनके अलावा इस दिन वरियान और परिघ नाम के 2 अन्य योग भी रहेंगे। राहुकाल दोपहर 12:31 से 02:07 तक रहेगा।
16 अगस्त बुधवार को पहले आश्लेषा नक्षत्र होने से राक्षस और इसके बाद मघा नक्षत्र होने से चर नाम का योग बनेगा। इनके अलावा इस दिन वरियान और परिघ नाम के 2 अन्य योग भी रहेंगे। राहुकाल दोपहर 12:31 से 02:07 तक रहेगा।
Sawan Adhik Maas Amavasya 2023: सावन का अधिक मास 16 अगस्त, बुधवार को समाप्त हो जाएगा। ये तिथि तीन साल में एक बार आती है, इसलिए इसका विशेष महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है। इस दिन और भी कई शुभ योग बनेंगे, जिसके चलते इसका महत्व और भी बढ़ गया है।