सार
बिहार विधानसभा चुनाव में वोटों की गिनती जारी है। इस चुनाव में एनडीए को बढ़त मिलती दिख रही है। हालांकि, इस बार भाजपा एनडीए से बड़ी पार्टी बनकर उभरती दिख रही है। भाजपा को 74 सीटों पर बढ़त मिलती दिख रही है। वहीं, नीतीश कुमार की जदयू को 45 सीटों पर बढ़त है। माना जा रहा है कि इस बार एलजेपी ने जदयू का खेल बिगाड़ा है।
पटना. बिहार विधानसभा चुनाव में वोटों की गिनती जारी है। इस चुनाव में एनडीए को बढ़त मिलती दिख रही है। हालांकि, इस बार भाजपा एनडीए से बड़ी पार्टी बनकर उभरती दिख रही है। भाजपा को 74 सीटों पर बढ़त मिलती दिख रही है। वहीं, नीतीश कुमार की जदयू को 45 सीटों पर बढ़त है। माना जा रहा है कि इस बार एलजेपी ने जदयू का खेल बिगाड़ा है।
एलजेपी को मिला करीब 5.6% वोट
इस विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी को 15.3% वोट मिला है। वहीं, एलजेपी को 5.60% वोट मिले हैं। माना जा रहा है कि एनडीए से अलग होकर लड़ी एलजेपी ने ज्यादातर वोट जदयू के ही काटे हैं। हालांकि, अभी तक एलजेपी एक भी सीट जीतने में कामयाब नहीं हो सकी है। चुनाव प्रचार के दौरान नीतीश कुमार समेत जदयू के तमाम नेताओं ने उन्हें वोट कटवा पार्टी तक कह दिया था।
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो चिराग के अलग होने और जदयू के खिलाफ प्रत्याशी उतारने से नीतीश कुमार को नुकसान उठाना पड़ा है। इसके अलावा भाजपा के पक्ष में उनके बने रहने से भाजपा बिहार में सबसे अधिक सीटें जीतने की राह पर है। एलजेपी के अध्यक्ष लगातार चुनाव प्रचार में खुद को पीएम मोदी का समर्थक बता रहे थे। हालांकि, वे कह रहे थे कि नीतीश कुमार अब कभी मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे।
चिराग की पार्टी ने इन 7 सीटों पर बिगाड़ा खेल
बिहार में चिराग की पार्टी 7 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही। यहां के दिनारा में भाजपा के बागी राजेंद्र प्रसाद सिंह एलजेपी के टिकट से चुनाव लड़े। यहां एलजेपी और जदयू की लड़ाई में राजद को फायदा मिला। वहीं, कस्बा में एलजेपी कांग्रेस के बाद दूसरे नंबर पर रही। जबकि बाकी चार सीटों ओबरा, रघुनाथपुर, जगदीशपुर और ब्रह्मपुर में जहां एलजेपी दूसरे नंबर पर रही, वहां राजद पहले नंबर है। यानी इन सीटों पर जितने वोट एलजेपी को मिले, उससे कम अंतर एनडीए उम्मीदवारों और राजद के उम्मीदवारों में रहा।
आंकड़े चुनाव आयोग की वेबसाइट से।
ओवैसी ने महागठबंधन को पहुंचाया नुकसान
उधर, एआईएमआईएम ने बिहार में महागठबंधन का खेल बिगाड़ा है। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी 2 सीटों पर जीत हासिल कर चुकी है, जबकि 3 पर आगे चल रही है। ये सीटें किशनगंज और बांग्लादेश की सीमा से मिलने वाले जिलों की हैं। यहां मुस्लिम वोटर अधिक है। ऐसे में अगर एआईएमआईएम चुनाव मैदान में ना उतरती तो ये वोट राजद को मिलते। इसके लिए पार्टी ने दो महीने पहले से तैयारी भी की थी। ओवैसी के सहयोगी माजिद हुसैन ने बिहार में मुस्लिम बहुल सीमांचल क्षेत्र में 2 महीने तक पार्टी के लिए जमीन तैयार की। वहीं, ओवैसी खुद 10 दिनों के लिए आखिरी दौर के मतदान से पहले सीमांचल पहुंच गए थे। कहा जा रहा है कि AIMIM ने महागठबंधन के वोट काटे हैं। बता दें कि AIMIM ने बिहार की 20 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे, जिनमें से 14 उम्मीदवार सीमांचल में थे। ओवैसी के चलते महागठबंधन का नुकसान हुआ है वहीं एनडीए को फायदा मिला है।
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने 4 सीटों पर NDA को सीधी टक्कर दी
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने 4 सीटों पर सीधे तौर पर NDA को टक्कर दी है वहीं एक सीट पर RJD को। जोकीहाट विधानसभा सीट पर एआईएमआईएम में RJD के सरफराज आलम को हराया। बैसी विधानसभा सीट पर BJP, बहादुरगढ़ में NDA, कोचाधामन में JDU और अमौर में JDU उम्मीदवार को पीछे छोड़ा।