सार

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अभी बिहार विधान परिषद के सदस्य हैं, इसलिए विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए हो रहे चुनाव में वह वोट नहीं कर पाए। इसी तरह कैबिनेट मंत्री अशोक चौधरी और मुकेश सहनी की भी कोई भूमिका नहीं रही। ये दोनों किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं।

पटना (Bihar ) । पटना (Bihar ) । बिहार विधानसभा अध्यक्ष के लिए हुए चुनाव में एनडीए की ओर से बीजेपी नेता विजय सिन्हा जीत गए हैं। उनके पक्ष में 126 विधायक वोट किए, जबकि महागठबंधन से आरजेडी के वरिष्ठ नेता अवध बिहारी चौधरी 114 वोट पाकर हार गए। वोटिंग के दौरान हंगामा भी हुआ। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि चोर दरवाजे से बिहार में एनडीए सरकार बनी है। बता दें कि आज बिहार के संसदीय इतिहास में 51 साल बाद अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुआ। नए स्पीकर विजय सिन्हा लखीसराय से भाजपा विधायक हैं। वे मंत्री भी रह चुके हैं। आइये जानते हैं अब विस्तार से।

लगातार चौथी बार बने विधायक
विजय सिन्हा  भूमिहार समाज आते हैं। नीतीश कुमार की पिछली सरकार में विजय कुमार सिन्हा श्रम मंत्री थे। इस बार लखीसराय चौथी बार विधायक चुने गए हैं। 5 जून 1967 को जन्मे विजय कुमार सिन्हा के पिता शारदा रमण सिंह (अब स्व.) पटना के बाढ़ स्थित बेढ़ना के हाई स्कूल के प्रभारी प्रधानाध्यापक थे। उनकी मां का नाम स्व. सुरमा देवी है. पैत्रिक निवास मोकामा के बादपुर में रहा है. सिन्हा की ने बेगूसराय के राजकीय पॉलिटक्निक से सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा की है। सुशीला सिन्हा से इनकी शादी वर्ष 1986 में हुई थी।

13 साल की उम्र में बीजेपी के कार्यक्रम में कर रहे थे सहयोग
13 वर्ष की उम्र में यानी 1980 में विजय सिन्हा ने बाढ़ में आयोजित बीजेपी के कार्यक्रम में पारिवारिक भागीदारी में सहयोग किए थे। 15 वर्ष की उम्र में बाढ़ के दुर्गापूजा समिति के सचिव के रूप में चुने गए थे। 1983 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की छात्र राजनीति में सक्रिय हो गए। पॉलिटेक्निक कॉलेज में पढ़ते हुए 1985 में राजकीय पॉलिटेक्निक मुजफ्फरपुर छात्र संघ का का अध्यक्ष बने। 1990 में सिन्हा को राजेन्द्र नगर मंडल पटना महानगर भाजपा में उपाध्यक्ष पद की जिम्मेवारी मिली। वर्ष 2000 में सिन्हा को प्रदेश संगठन प्रभारी, भारतीय जनता युवा मोर्चा बिहार-सह-चुनाव प्रभारी भाजपा सूर्यगढ़ा वि.स. जिला लखीसराय की जिम्मेदारी दी गई। 2002 में भारतीय जनता युवा मोर्चा, बिहार के प्रदेश सचिव बनाए गए।

जेल भी जा चुके हैं विजय सिन्हा
1986-87 में राजकीय पॉलिटेक्निक, बेगूसराय में व्याप्त अव्यवस्था और भ्रष्टाचार के विरोध में छात्र संघ के साथ धरना प्रदर्शन के दौरान सिन्हा की गिरफ्तारी हुई. इसके बाद तत्कालीन गृह राज्य मंत्री (पुलिस मंत्री) भोला बाबू ने हस्तक्षेप किया, उसके बाद सिन्हा की रिहाई हुई थी। 1988 में एक बार फिर बेरोजगार कनीय अभियंता की बहाली को लेकर उन्होंने संघर्ष छेड़ा. तत्कालीन सरकार के विरुद्ध संघर्ष करते हुए धरना प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तारी हुई और फिर रिहा किए गए. इस तरह धरना-प्रदर्शन, गिरफ्तारी और रिहाई का अनवरत सिलसिला इनके राजनीतिक करियर में चलता रहा।

क्या था इस चुनाव के मायने
यदि इस चुनाव को राजद के नेता अवध बिहारी चौधरी जीत जाते तो माना जाता कि सत्तारूढ़ दल को पूर्ण बहुमत नहीं है। ऐसे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस्तीफा भी देना पड़ सकता।

सीएम और ये दो मंत्री भी एनडीए के पक्ष में नहीं कर सके वोट
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अभी बिहार विधान परिषद के सदस्य हैं, इसलिए विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए हो रहे चुनाव में वह वोट नहीं कर पाए। इसी तरह कैबिनेट मंत्री अशोक चौधरी और मुकेश सहनी की भी कोई भूमिका नहीं रही। ये दोनों किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं।

नीतीश कुमार ने कहा-नियमानुसार करना है कार्य
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विजय सिन्हा के लिए कहा कि आपको नियमानुसार कार्य का संचालन करना है। आप मंत्री भी रहे हैं, विश्वास है कि आप विधानसभा अध्यक्ष का कार्यभार अच्छे से निभाएंगे। सभी लोगों को अपनी बात रखने का अधिकार है, नए अध्यक्ष नियमानुसार कार्यवाही संचालित करेंगे। मैं नए स्पीकर को बधाई देता हूं।

तेजस्वी बोले- निष्पक्ष रहना होगा
तेजस्वी ने भी विजय सिन्हा को बधाई दी। साथ ही कहा कि आसन को निष्पक्ष होना होगा। ये जिम्मेदारी भरा पद है, ये जिम्मेदारी आपको निभानी होगी। इसके पहले चुनाव प्रक्रिया के दौरान  तेजस्वी ने कहा था कि देश-दुनिया के सामने लोकतंत्र और संविधान की हत्या हो रही है। विधानसभा चुनाव में जनादेश की चोरी और स्पीकर के चुनाव में भी खुलेआम चोरी हो रही है। नीतीश कुमार विधानसभा नहीं, विधान परिषद के सदस्य हैं। दो मंत्री तो विधान परिषद के भी सदस्य नहीं हैं। उनके कई विधायक गैर-हाजिर हैं और नेताओं को फर्जी विधायक बनाकर बैठाया गया है। नियम कहता है कि जो सदन का सदस्य नहीं होता, उसे वोटिंग के लिए दरवाजे बंद होने से पहले बाहर जाना होता है।

किसके पास कितने विधायकों की ताकत 
एनडीए-126
भाजपा- 74
जदयू- 43
हम- 4
वीआइपी- 4
निर्दलीय- 1 (लोजपा)

महागठबंधन -110
राजद- 75
कांग्रेस- 19
वामदल- 16

अन्य-6
बसपा- 1
एआइएमआइएम- 5

सुशील मोदी का आरोप-जेल से फोन करके लालच दे रहे लालू 
पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने मंगलवार देर शाम एक ट्वीट कर राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है। उन्होंने आरोप लगाया है कि रांची में सजा काट रहे लालू यादव NDA विधायकों को फोन करके लालच दे रहे हैं। इस पर सत्ता और विपक्ष, दोनों तरफ से बयानबाजी भी हो रही है।