सार

मामला बिहार के दरभंगा जिले का है। जहां के कमरौली गांव के सरकारी स्कूल में बने क्वारेंटाइन सेंटर में रह रहे 45 वर्षीय मजूदर ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मजदूर की मौत के बाद इलाके में सनसनी है। क्वारेंटाइन सेंटर में रह रहे अन्य मजदूरों ने वहां रहने से मना किया है। 
 
दरभंगा। जिले के सिमरी थाने की जलवार पंचायत के कमरौली गांव स्थित उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय में बनाए गए क्वारेंटाइन सेंटर में रह रहे एक मजदूर ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मृतक की पहचान कमरौली के ही स्व. वृजनंदन यादव के पुत्र विनोद यादव (45 वर्ष)  के रूप में हुई है। विनोद ने खिड़की के रॉड से गमछा बांध कर खुदकुशी कर ली। मिली जानकारी के अनुसार विनोद दिल्ली में मजदूरी करता था।

लॉकडाउन के बाद विनोद दिल्ली से किसी तरह 9 अप्रैल को गांव पहुंचा। ग्रामीणों की सूचना पर बहादुरपुर प्रखंड प्रशासन ने उसे उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय कमरौली में बनाए गए क्वारेंटाइन केंद्र पर 10 अप्रैल को क्वारेंटाइन कर दिया था। क्वारेंटाइन केंद्र में तीन लोग रह रहे थे। 

मृतक को थी टीबी की बीमारी, तनाव में था मजदूर
क्वारेंटाइन सेंटर खुदकुशी करने की जानकारी फैलते ही पुलिस-प्रशासन के साथ-साथ चिकित्सा कर्मियों में हड़कंप मच गया। आनन-फानन में बड़े अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे। जिसके बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। मामले में डीएम त्यागराजन एचएम ने कहा कि विनोद की मौत फांसी लगाने के कारण हुई है। परिजनों द्वारा बताया गया है कि वह टीबी रोग से ग्रसित था। फिलहाल सभी बिंदुओं पर जांच की जा रही है।

विनोद के बारे में ग्रामीणों व परिजनों द्वारा बताया गया कि होली के समय भी गांव आया था। उसे टीबी की बीमारी थी। परिजनों का कहना है कि टीबी बीमारी के चलते वह काफी तनाव में रहता था। क्वारेंटाइन होम में रहने के दौरान उनकी जांच की गई थी और काउंसलिंग भी की थी तो टीबी के चलते तनाव में रहने की बाते भी सामने आई थी।

पत्नी व बेटे को दिल्ली में छोड़कर आया था मृतक 
मृतक की मां सुजान देवी ने बताया कि उसके बेटे को टीबी की बीमारी थी जिस कारण वह परेशान रहता था। विनोद अपनी पत्नी संगीता देवी व बड़े पुत्र प्रवीण कुमार के साथ दिल्ली में रहकर मजदूरी करता था। जबकि उसका एक पुत्र व दो पुत्री गांव में रहते थे। लॉकडाउन होने के बाद वह पत्नी व बड़े बेटे को दिल्ली में छोड़कर वहां से पैदल निकल गया था। रास्ते में प्याज लदे ट्रक पर बैठकर वह गांव पहुंचा था। मजदूर की मौत के बाद क्वारेंटाइन सेंटर में रह रहे दो अन्य मजदूरों ने वहां रहने से मना किया है। इन दोनों ने खुद को किसी दूसरे क्वारेंटाइन सेंटर में शिफ्ट करने की मांग की है।