सार
चिराग ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर लोकसभा अध्यक्ष के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें उनके चाचा पशुपति पारस की अगुवाई वाले गुट को सदन में एलजेपी के तौर पर मान्यता दी है।
नई दिल्ली. चिराग पासवान को दिल्ली हाइकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। दिल्ली कोर्ट ने चिराग पासवान की उस याचिका को खारिज कर दिया है। जिसमें उन्होंने पशुपति पारस को लोकसभा में पार्टी का नेता बनाए जाने की चुनौती दी थी। मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि याचिका में कोई दम नहीं है।
चिराग ने लगाई थी याचिका
लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) में टूट के बाद पार्टी पर पर किसका हक है इसे लेकर चिराग पासवान ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। चिराग ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर लोकसभा अध्यक्ष के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें उनके चाचा पशुपति पारस की अगुवाई वाले गुट को सदन में एलजेपी के तौर पर मान्यता दी है।
लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) पर कब्जे को लेकर चाचा-भतीजा में झगड़ा चल रहा है। नरेंद्र मोदी को चेतावनी देने के बावजूद चाचा पशुपति पारस को केंद्र मंत्री बनाए जाने से नाराज चिराग पासवान ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी।
चाचा को बताया धोखेबाज
चिराग पासवान ने अपने चाचा पारस को धोखेबाज बताया था। चिराग ने कहा था कि पार्टी विरोधी और शीर्ष नेताओं को धोखा देने के कारण लोक जनशक्ति पार्टी से पशुपति को पहले ही निष्कासित किया जा चुका है। इसलिए उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल करना सही नहीं है। हालांकि चिराग ने यह भी कहा कि मंत्रिमंडल में किसी को शामिल करने का अधिकार प्रधानमंत्री को है, लेकिन वे सिर्फ यह कहना चाहते हैं कि पारस उनकी पार्टी(LJP) के सदस्य नहीं हैं।
लोकसभा अध्यक्ष के समक्ष भी याचिका विचाराधीन है
चिराग पासवान ने लोकसभा अध्यक्ष के पास भी इस संबंध में याचिका लगा रखी है। पारस ने खुद को सदन में LJP का नेता बताया हुआ है। लोकसभा अध्यक्ष ने इसे स्वीकार कर लिया था।