सार
लॉकडाउन के कारण दूसरे राज्यों में फंसे बिहारी छात्र-छात्राओं, कामगार सहित अन्य लोगों को वापस बुलाने की मांग पर एक मई को राजद अनशन पर बैठेगी। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने ट्विट करते हुए एक मई को सांकेतिक अनशन का ऐलान किया है।
पटना। कोरोना से बचाव के लिए जारी लॉकडाउन के कारण बिहार के लाखों लोग दूसरे राज्यों में फंसे है। यूपी, उत्तीसगढ़, पंजाब सहित कई अन्य राज्य सरकार दूसरे राज्यों में फंसे अपने छात्र-छात्राओं को स्पेशल बस भेज कर मंगवा चुकी है। लेकिन बिहार सरकार की ओर से इस दिशा में अभी तक कोई पहल नहीं हुई है। अब दूसरे राज्यों में फंसे लोगों को वापस बुलवाने की मांग पर बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने एक मई को अनशन करने का फैसला लिया है। बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने ट्विट करते हुए लिखा कि 01 मई, अंतरराष्ट्रीय मज़दूर दिवस पर हम सभी आमजनों, बाहर फँसे छात्रों और मज़दूर भाईयों के साथ अपने-अपने घरों और ठिकानों पर सुबह 10 से 12 बजे दिन तक आवश्यक शारीरिक दूरी बनाकर सांकेतिक अनशन पर बैठेंगे। इस ज़िद्दी अमानवीय सुल्तानी आपदा से बचाव का रास्ता तलाशना अब आवश्यक हो गया है।
25 लाख अप्रवासी बाहर फंसे हैंः तेजस्वी
एक के बाद एक चार ट्विट करते हुए तेजस्वी यादव ने बाहर फंसे बिहारियों पर चिंता जाहिर की है। उन्होंने अपने पहले ट्विट में लिखा कि असंवेदनशील,निकम्मी और क्रूर बिहार सरकार की प्रशासनिक विफलता के कारण 25 लाख अप्रवासी बिहारीवासी बाहर फँसे है। 35 दिन बाद भी उन्हें वापस बुलाने की कोई समग्र योजना व वैकल्पिक उपाय नहीं है। इस गूँगी,अँधी और बहरी सरकार का मुँह,आँख और कान खोलने के लिए हम सांकेतिक विरोध-प्रदर्शन करेंगे। लॉकडाउन में अनशन के दौरान सोशल डिस्टेंस बनाए रखने का निर्देश भी तेजस्वी यादव ने दिया है।
सोशल डिस्टेंस के साथ 10-12 बजे तक अनशन
तेजस्वी ने अपने ट्विट में लिखा कि राजद द्वारा बिहार सरकार की मज़दूरों के प्रति अमानवीय नीतियों,ग़रीबों के राशन कार्ड एवं राशन वितरण में हो रही धाँधलियों के विरुद्ध 1 मई,अंतरराष्ट्रीय मज़दूर दिवस पर अपने-अपने घरों से सांकेतिक उपवास और सुबह 10 से 12 बजे तक शारीरिक दूरी बनाते हुए अनशन के ज़रिए विरोध प्रकट किया जाएगा। बता दें कि कोटा में इस समय बिहार के हजारों बच्चे फंसे है। जो वहां के वीडियो बना कर कई बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उन्हें बुलवाने की मांग कर चुके हैं। हालांकि नीतीश सरकार ने इस मांग को अब केंद्र सरकार के हवाले कर दिया है।