सार
अपराध के बढ़ते ग्राफ और सुरक्षा बलों की कम संख्या के बीच बिहार पुलिस मुख्यालय के आदेश पर अंगरक्षकों के रूप में तैनात 150 जवानों को तत्काल बॉडीगार्ड की ड्यूटी से हटा दिया गया है। सभी जवानों को पुलिस लाइन में योगदान देने को कहा गया है।
पटना। बॉडीगार्ड के आड़ में हुई कई घटनाओं और पुलिस बल की संख्या में कमी की समीक्षा के बाद बिहार पुलिस ने वीआईपी सुरक्षा के नाम पर तैनात 150 जवानों को बॉडीगार्ड की ड्यूटी से तत्काल हटा दिया है। सभी जवानों को पुलिस लाइन में अपना योगदान देने को कहा गया है। बिहार पुलिस के इस फैसले से बिहार के वीआईपी लोगों में खलखली मची हुई है। मिली जानकारी के अनुसार आगे बॉडीगार्ड के रूप में तैनात अन्य जवानों को भी आगे पुलिस लाइन में बुलाया जाएगा। बता दें कि बिहार में कई लोग स्टेटस सिंबल के रूप में बॉडीगार्ड लेकर चला करते थे। इस फैसले के बाद ऐसे लोगों में नाराजगी है।
जिलास्तर पर बनी कमेटी कर रही थी रिव्यू
उल्लेखनीय है कि पुलिस मुख्यालय के तहत दो तरह के अंगरक्षकों को हटाया गया है। पहला जो गृह विभाग के मापदंडों से अलग ड्यूटी पर तैनात थे जबकि दूसरे में वैसे वीआईपी के नाम शामिल है जो तय संख्या से अधिक जवानों को बॉडीगार्ड के रूप में अपने साथ रखे हुए थे। मिली जानकारी के अनुसार पुलिस विभाग के आला अधिकारी पहले से इसकी मॉनिटरिंग कर रहे थे। जिलास्तर पर समीक्षा के लिए एक कमेटी बनाई गई थी। जो लगातार बॉडीगार्ड का रिव्यू कर रहे थे।
दो आधार पर किसी को दिया जाता है बॉडीगार्ड
मालूम हो कि बिहार में किसी भी व्यक्ति को दो आधार पर बॉडीगार्ड दिए जाते है। पहला पद के आधार पर, दूसरा संभावित खतरे के आधार पर। इसका आंकलन आईजी की अध्यक्षता में बनी कमेटी करती है। विशेष परिस्थिति में जिले के एसपी किसी व्यक्ति को सुरक्षागार्ड दे सकते है। लेकिन आगे की सुरक्षा के लिए उस व्यक्ति को सुरक्षा समिति से सहमति लेना अनिवार्य है। बता दें कि बीते कुछ दिनों से बिहार में अपराध का ग्राफ बढ़ा है। दूसरी ओर विधानसभा चुनाव ही इसी साल होना है। इससे पहले यह फैसला सुरक्षा और जवानों की उपलब्धता के आधार पर लिया गया है।