सार

अमिताभ बच्चन ने अपने माता-पिता हरिवंशराय बच्चन (harivansh rai bachchan) और तेजी बच्चन (teji bachchan) की शादी की 79वीं सालगिरह पर उन्हें याद किया। इतना ही नहीं दोनों को याद करते हुए उनकी शादी से जुड़ा किस्सा भी सुनाया। उन्होंने अपने ब्लॉग में लिखा- 23 जनवरी की आधी रात बीती और 24 तारीख शुरू हुई। मां और बाबूजी की शादी की सालगिरह...। 24 जनवरी, 1942। एक शादी जिसने तमाम बैरियर तोड़ डाले। जाति और नस्ल से परे बच्चन नाम स्वीकार किया और फिर मैं इस दुनिया में आया। दोनों की मुलाकात का किस्सा बाबूजी की ऑटोबायोग्राफी में है। 

मुंबई. अमिताभ बच्चन (amitabh bachchan) की गिनती उन सेलेब्स में होती है, जो सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा एक्टिव रहते हैं। वे ट्विटर पर तो एक्टिव रहते ही है ब्लॉग भी हर दिन लिखते ही है। इसी बीच अमिताभ ने अपने माता-पिता हरिवंशराय बच्चन (harivansh rai bachchan) और तेजी बच्चन (teji bachchan) की शादी की 79वीं सालगिरह पर उन्हें याद किया। इतना ही नहीं दोनों को याद करते हुए उनकी शादी से जुड़ा किस्सा भी सुनाया। अमिताभ ने अपने ब्लॉग में माता-पिता और उनकी शादी का जिक्र किया है। अमिताभ ने बताया है कि उनके माता-पिता के रिश्ते ने समाज के रूढ़िवाद को तोड़ने का काम किया है।


अमिताभ बच्चन ने अपने ब्लॉग में लिखा- 23 जनवरी की आधी रात बीती और 24 तारीख शुरू हुई। मां और बाबूजी की शादी की सालगिरह...। 24 जनवरी, 1942। एक शादी जिसने तमाम बैरियर तोड़ डाले। जाति और नस्ल से परे बच्चन नाम स्वीकार किया और फिर मैं इस दुनिया में आया। दोनों की मुलाकात का किस्सा बाबूजी की ऑटोबायोग्राफी में है। तब से अब तक जो मोमेंट मैंने कैप्चर किए हैं या दोहराया है, वे भी जल्दी ही आपके सामने होंगे।


अमिताभ ने ब्लॉग में बताया कि उनका सरनेम बच्चन कैसे पड़ा। उन्होंने इस बारे में लिखा- बाबूजी का जन्म कायस्थ परिवार में हुआ था और श्रीवास्तव लिखते थे। लेकिन वह हमेशा जाति और उसकी पहचान के खिलाफ थे। ऐसे में उन्होंने कवि के तौर पर अपना सरनेम बच्चन लिखना शुरू कर दिया था। वह दौर था जब दिग्गज कवि अपने सरनेम इसी तरह के रख लिया करते थे। लेकिन यह परिवार का सरनेम तब बना जब मेरा जन्म हुआ। बता दें कि अमिताभ अक्सर अपने परिवार और माता-पिता के बारे में ब्लॉग लिखते रहते हैं।