सार

वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) काउंसिल की सोमवार को 42वीं बैठक होने जा रही है। जीएसटी काउंसिल की बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण करेंगी।  इस बैठक में चालू वित्त वर्ष 2020-21 में जीएसटी की रेवेन्यू शॉर्टफॉल पर चर्चा होगी। बैठक में वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर समेत राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के वित्त मंत्रियों और केंद्र सरकार और राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे। 

नई दिल्ली. वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) काउंसिल की सोमवार को 42वीं बैठक होने जा रही है। काउंसिल की बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण करेंगी।  इस बैठक में चालू वित्त वर्ष 2020-21 में जीएसटी की रेवेन्यू शॉर्टफॉल पर चर्चा होगी। बैठक में वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर,राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के वित्त मंत्रियों और केंद्र सरकार और राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे। कयास लगाए जा रहे हैं कि बैठक में गैर-भाजपा राज्य कंपनसेशन के मुद्दे पर हंगामा कर सकते हैं।

चालू वित्त वर्ष 2020-21 में हुआ 2.35 लाख करोड़ का रेवेन्यू शॉर्टफॉल

27 अगस्त को हुई GST काउंसिल की पिछली बैठक में चालू वित्त वर्ष में जीएसटी रेवेन्यू में 2.35 लाख करोड़ रुपए के शॉर्टफॉल का अनुमान जताया गया था। इसमें 97 हजार करोड़ रुपए जीएसटी इम्प्लीमेंटेशन और 1.38 लाख करोड़ रुपए राज्यों के रेवेन्यू के शामिल हैं। पिछली बैठक में इस रेवेन्यू शॉर्टफॉल की भरपाई के लिए केंद्र सरकार ने राज्यों को दो विकल्प दिए थे। पहले विकल्प के तहत राज्य आरबीआई से विशेष विंडो के तहत 97 हजार करोड़ रुपए उधार ले सकते हैं। दूसरे विकल्प के तहत केंद्र 2.35 लाख करोड़ रुपए बाजार से उधार लेकर राज्यों की दें।

आरबीआई से 97 हजार करोड़ लेने पर सहमत 21 राज्य

सूत्रों के मुताबिक, 21 राज्यों ने 97 हजार करोड़ रुपए उधार लेने पर सहमति जता चुके हैं। इसमें से अधिकांश राज्यों में भाजपा या उसके सहयोगियों की सरकार है। वहीं गैर-भाजपा राज्य इस विकल्प का विरोध कर रहे हैं। इन राज्यों में पश्चिम बंगाल, दिल्ली, केरल, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और तमिलनाडु शामिल हैं। यह राज्य चाहते हैं कि केंद्र सरकार उधार लेकर रेवेन्यू शॉर्टफॉल की भरपाई करे।

बैठक का क्या है लक्ष्य?

विभिन्न राज्यों का कंपनसेशन पर रहेगा फोकस।
राज्यों के उधार लेने पर फैसला होगा।
कंपनसेशन सेस को 2024 तक बढ़ाकर 2 साल आगे किया जा सकता है।
प्रमुख बदलावों के लिए कमेटी का गठन हो सकता है।
जीएसटी संबंधी प्रक्रिया को आसान बनाया जा सकता है।
नॉन-अल्कोहल सैनिटाइजर की दरें समान बनाई जा सकती हैं।