सार
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इजरायल में दुनियाभर की कई दिग्गज टेक कंपनियों का बिजनेस चल रहा है। वहां उनके बड़े-बड़े ऑफिस हैं। हमास से चल रहे तनाव के बीच उन्हें चलाना प्रभावित हो रहा है।
बिजनेस डेस्क : 7 अक्टूबर को इजराइल पर हमास हमले (Israel Hamas War) के बाद पश्चिमी एशिया में शुरू जंग लगातार जारी है। यह इजराइल पर पांच दशकों का सबसे भयानक युद्ध बताया जा रहा है। इजराइल जवाब में पूरी गाजा पट्टी पर अटैक कर रहा है। उसने ऐलान किया गया है इस बार हमास का नामोनिशान मिटाकर ही दम लेगा। अब आशंका लग रही है कि यह युद्ध लंबा खिंच सकता है। ऐसे में इजराइल को बड़ा नुकसान हो सकता है। कई एक्सपर्ट्स इसे भारत के लिए मौका के तौर पर भी देख सकते हैं। आइए जानते हैं इस युद्ध का भारत पर क्या असर हो सकता है...
इजराइल-हमास युद्ध में किसका नुकसान, किसका फायदा
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इजरायल में दुनियाभर की कई दिग्गज टेक कंपनियों का बिजनेस चल रहा है। वहां उनके बड़े-बड़े ऑफिस हैं। हमास से चल रहे तनाव के बीच उन्हें चलाना प्रभावित हो रहा है। ऐसे में अगर यह युद्ध लंबे समय तक चलता है तो कंपनियां इजराइल से इन कार्यालयों को भारत के अलावा दूसरे देशों में शिफ्ट कर सकती हैं। टीसीएस और विप्रो जैसी भारतीय दिग्गज आईटी कंपनियां भी अपना कामकाज भारत में वापस ला सकती हैं।
इजराइल में कितनी बड़ी कंपनियां
इजराइल की बात करें तो वहां 500 से ज्यादा मल्टीनेशनल कंपनियों के दफ्तर चल रहे हैं। इनमें इंटेल, माइक्रोसॉफ्ट और गूगल जैसे कई बड़े और धुरंधर नाम हैं। कंपनियों के ये सभी दफ्तर ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर और रिसर्च एंड डेवलपमेंट के तौर पर वहां हैं। इन सेंटर्स में एक लाख से भी ज्यादा वर्कर काम करते हैं।
इजराइल से कहां शिफ्ट हो सकती हैं कंपनियां
विशेषज्ञों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि अगर इजराइल से कंपनियां जरूरत पड़ने पर अपना कारोबार समेटकर दूसरी जगह शिफ्ट करती हैं, तो उन्हें ऐसी जगह की तलाश होगी जिसका टाइम जोन इजराइल के समान ही हो। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऐसा भारत और कुछ पश्चिमी एशियाई देशों के साथ पूर्वी यूरोपीय देशों में है। ऐसे में कंपनियां वहां जाने पर विचार कर सकती हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर यह युद्ध लंबा खिंच जाता है तो कंपनियां इजराइल में अपने काम को सीमित भी कर सकती हैं। जिसके बाद वैकल्पिक जगहों पर विचार किया जा सकता है। इसका सबसे ज्यादा फायदा भारत और पूर्वी यूरोप को हो सकता है।
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