सार
पेट्रोल और डीजल की लगातार बढ़ती कीमतों से लोग परेशान हैं। इस बीच, खबर आई है कि 15 मार्च तक पेट्रोल-डीजल की कीमतें घट सकती हैं। वित्त मंत्रालय ने कहा है कि इन पर एक्साइज ड्यूटी घटाने की योजना बनाई जा रही है।
बिजनेस डेस्क। पेट्रोल और डीजल की लगातार बढ़ती कीमतों से लोग परेशान हैं। इस बीच, खबर आई है कि 15 मार्च तक पेट्रोल-डीजल की कीमतें घट सकती हैं। वित्त मंत्रालय ने कहा है कि इन पर एक्साइज ड्यूटी घटाने की योजना बनाई जा रही है। जानकारी के मुताबिक, कीमतें घटाने का फैसला जल्द ही लिया जा सकता है। बता दें कि पिछले 10 महीने के दौरान कच्चे तेल की कीमत में दोगुनी बढ़ोत्तरी हुई है। इस वजह से पेट्रोल और डीजल की कीमतें आसमान छू रही हैं। कुछ शहरों में तो पेट्रोल की कीमत 100 रुपए के पार हो गई है। पेट्रोल और डीजल की औसत कीमत 92 रुपए और 86 रुपए है। इससे सरकार पर दबाव बढ़ रहा है और वह एक्साइज ड्यूटी कम कर सकती है।
एक्साइज ड्यूटी और वैट
बता दें कि पेट्रोल-डीजल पर केंद्र सरकार एक्साइज डयूटी लगाती है, वहीं राज्य सरकारें वैट (Value Added Tax) लगाती हैं। पिछले दिनों सरकारी अधिकारियों और कॉरपोरेट ने भी टैक्स घटाने की मांग की है। बता दें कि श्रीलंका में पेट्रोल 51 रुपए और नेपाल में 53 रुपए प्रति लीटर है। इसे लेकर सुब्रमण्यम स्वामी ने सरकार की खिल्ली भी उड़ाई थी।
पेट्रोलियम को जीएसटी में लाने की चर्चा
सोमवार को सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार केवी सुब्रमण्यम ने कहा था कि पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स को जीएसटी (GST) के दायरे में लाना चाहिए। भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर दोगुना टैक्स लगता है। केंद्र सरकार ने पिछले 12 महीनों में 2 बार एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई है। सरकार की यह कह कर आलोचना हो रही है कि कच्चे तेल की कीमतों में कमी आने के बावजूद वह इसका फायदा लोगों को देने की जगह अपना रेवेन्यू बढ़ाने में लगी है।
राज्यों से चल रही चर्चा
वित्त मंत्रालय राज्यों से पेट्रोलियम पर टैक्स घटाने को लेकर चर्चा कर रहा है। हाल ही में पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम समेत कुछ और राज्यों ने पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स पर टैक्स घटा दिए हैं। केंद्र सरकार को यह महसूस हो रहा है कि पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों का आगामी चुनावों में उसके खिलाफ असर पड़ सकता है। हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि पेट्रोल-डीजल पर टैक्स कब तक घटेगा, इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता, पर इसे लेकर राज्यों से बात चल रही है।
मिला 5.56 लाख करोड़ का रेवेन्यू
31 मार्च 2020 को खत्म हुए वित्त वर्ष में केंद्र और राज्य सरकारों को पेट्रोलियम से 5.56 लाख करोड़ रुपए का रेवेन्यू मिला था। वहीं, अप्रैल से दिसंबर 2020 के बीच 4.21 लाख करोड़ रुपए का रेवेन्यू मिला, जब पेट्रोलियम की मांग कम थी।