सार

प्रौद्योगिकी संस्थानों से एमटेक कर रहे विद्यार्थियों की फीस अगले शैक्षणिक सत्र से करीब नौ गुणा तक बढ़ जाएगी । साथ ही आईआईटी में पढ़ने वाले कमजोर छात्रों को तीन साल में डिग्री देकर संस्थान छोड़ने का विकल्प भी दिया जाएगा।

नई दिल्ली: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों से एमटेक कर रहे विद्यार्थियों की फीस अगले शैक्षणिक सत्र से करीब नौ गुणा बढ़ाने का निर्णय किया गया है । साथ ही आईआईटी में पढ़ने वाले कमजोर छात्रों को तीन साल में डिग्री देकर संस्थान छोड़ने का विकल्प दिया जाएगा। पेश है आईआईटी में शिक्षा के विभिन्न पहलुओं पर आईआईटी रूड़की के निदेशक प्रो. ए के चतुर्वेदी से पांच सवालों पर उनके जवाब।

सवाल : आईआईटी में एमटेक करने वाले छात्रों की फीस में भारी वृद्धि करने का क्या औचित्य है ? 

जवाब : इसके कई कारण हैं जिसमें एक कारण यह है कि एमटेक पाठ्यक्रम में छात्रों की रूचि में कमी पाई गई है । काफी संख्या में छात्र एमटेक में दाखिला ले लेते हैं लेकिन कोर्स पूरा किए बिना बीच में ही उसे छोड़ देते हैं । यह रोजगार मिलने सहित कई कारणों से हो सकता है । लेकिन यह बात सामने आई है कि पाठ्यक्रम में रूचि नहीं रखने वाले बच्चे दाखिला ले रहे हैं और अलग अलग संकाय में 30 प्रतिशत से अधिक बच्चे बीच में कोर्स छोड़ रहे हैं । ऐसे में फीस बढ़ाने से वैसे ही छात्र दाखिला लेंगे जिनकी वास्तव में कोर्स करने में रूचि होगी ।

फीस बढ़ाने का एक और कारण यह है कि संस्थानों को अपना संसाधन बढ़ाने के लिए कहा जाता है। आईआईटी के पास संसाधन जुटाने का एक तरीका फीस ढांचा भी है। फीस केवल एमटेक कोर्स के लिए ही बढ़ाने का निर्णय किया गया है। इस बारे में आईआईटी परिषद ने एक दिशा तय की है ।

सवाल : आईआईटी में पढ़ने वाले छात्रों को तीन साल में बीएससी या डिप्लोमा डिग्री देकर संस्थान छोड़ने का विकल्प देने का मकसद क्या है ? 

जवाब : आईआईटी के सभी संस्थानों का प्रयास यह होता है कि दाखिला लेने वाला प्रत्येक बच्चा अपनी डिग्री पूरी कर ले । लेकिन कई बार ऐसा नहीं होता है। अगर किसी बच्चे को लगता है कि उसकी इंजीनियरिंग में रूचि नहीं है तो कई बार वह पढ़ाई छोड़ कर चला जाता है। पहले से एक विकल्प है कि उसका समय बढ़ा दिया जाता है ताकि वह डिग्री पूरी कर सके ।

‘यह एक अतिरिक्त विकल्प है जो छात्रों को दिया गया है। जो बच्चा चाहेगा, यह सिर्फ उसके लिए है। उसके पास एक विकल्प होगा कि वह कोई डिग्री लेकर ही जाए ।’’

सवाल : भारत में अनुसंधान एवं नवोन्मेष की स्थिति क्या है ? हमें इसे और गति देने के लिए किस तरह के प्रयासों की जरूरत है ? 

जवाब : देश ने अनुसंधान एवं नवोन्मेष के क्षेत्र में काफी प्रगति हुई है। समस्या प्रौद्योगिकी नवाचार को व्यवसायिक स्तर पर उतारने की है । शोध का फल बाजार तक पहुंचे, यह जरूरी है । आईआईटी ने इस क्षेत्र में काफी काम किया है। काफी संख्या में पेटेंट भी बढ़े हैं । कई आईआईटी में छात्रों एवं शिक्षकों ने स्टार्टअप भी शुरू किए हैं । हर आईआईटी में बौद्धिक संपदा अधिकार आईपीआर प्रकोष्ठ भी है ।

सवाल : वैश्विक रैंकिंग में स्थिति बेहतर बनाने के लिए आईआईटी क्या पहल कर रही है ? 

जवाब : यह एक ऐसा विषय है जो काफी महत्वपूर्ण है। आईआईटी देश दुनिया की प्रतिष्ठित संस्था है । हम शिक्षा के हर क्षेत्र में काम कर रहे हैं । हमारे कार्यो को मान्यता मिल रही है। हमारा प्रयास है कि संस्थान को हर दृष्टि से बेहतर बनाएं ।

सवाल : शोध का केंद्र क्या होना चाहिए ? इस दिशा में आईआईटी रूड़की क्या प्रयास कर रही है ? 

जवाब : शोध के केंद्र में सामाजिक दायित्व होना चाहिए । हमारे अनुसंधान एवं शोध से समाज को लाभ हो, समस्याओं का निदान निकाला जा सके, इस बात पर जोर होना चाहिए । हम इस दिशा में काम भी कर रहे हैं जिसमें जलवायु परिर्वतन, प्रदूषण रोकने के विषय, जल में आर्सेनिक, फ्लोराइड जैसे मुद्दे सहित कई अन्य ऐसे विषय सामाजिक हैं।

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)