सार
फर्जी सर्टिफिकेट के जरिए यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (यूपीएससी) की परीक्षा पास कर आईएएस अधिकारी बनने वाले केरल कैडर के एक अफसर की नौकरी जा सकती है। डिपार्टमेंट ऑफ पर्सोनल एंड ट्रेनिंग (डीओपीटी) ने इस अफसर के खिलाफ जांच शुरू कर दी है।
तिरुअनंतपुरम। फर्जी सर्टिफिकेट के जरिए यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (यूपीएससी) की परीक्षा पास कर आईएएस अधिकारी बनने वाले केरल कैडर के एक अफसर की नौकरी जा सकती है। डिपार्टमेंट ऑफ पर्सोनल एंड ट्रेनिंग (डीओपीटी) ने इस अफसर के खिलाफ जांच शुरू कर दी है। 2016 बैच के इस आईएएस अफसर पर आरोप है कि उसने नॉन-क्रीमी लेयर श्रेणी का फर्जी सर्टिफिकेट दिया था और अपने परिवार की आय के बारे में जानबूझ कर गलत सूचना दी थी, ताकि उसे यूपीएससी एग्जामिनेशन में ओबीसी नॉन-क्रीमी लेयर कैटेगरी के फायदे मिल जाएं। फिलहाल यह अधिकारी मालाबार में सब-कलेक्टर के रूप में सेवाएं दे रहा है। बता दें कि उसे 25 अक्टूबर को एर्नाकुलम डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर द्वारा सुनवाई के लिए बुलाया गया है।
215वीं रैंक की थी हासिल
इस अधिकारी ने साल 2015 की यूपीएससी परीक्षा में 215वीं रैंक हासिल की थी। उसने यूपीएससी एप्लिकेशन फॉर्म में यह गलत घोषणा की थी कि उसके पेरेंट्स इनकम टैक्स के दायरे में नहीं आते हैं और उनके पास पैन कार्ड (परमानेंट अकाउंट नंबर) नहीं है। बाद में उसके ये दोनों दावे गलत पाए गए।
एफिडेविट में दी गलत जानकारी
एप्लिकेशन के साथ एफिडेविट में इस शख्स ने परिवार की आमदनी के बारे में गलत जानकारी दी। उसने बताया कि उसके परिवार की वार्षिक आमदनी 2012-13 में 1.8 लाख रुपए, 2013-14 में 1.9 लाख रुपए और 2014-15 में 2.4 लाख रुपए थी। इस दौरान ओबीसी नॉन-क्रीमी लेयर कैटेगरी के तहत सुविधा पाने वालों के लिए सालाना 6 लाख रुपए की आमदनी निर्धारित की गई थी। जबकि एर्नाकुलम के कलेक्टर के आदेश पर स्थानीय तहसीलदार ने जो रिपोर्ट दी, उसके अनुसार परिवार की सालाना आमदनी 2012-13 में 21,80,967 रुपए. 2013-14 में 23,05,100 रुपए और 2014-15 में 28 ,71,375 रुपए थी।
आपराधिक जांच कार्यवाही होगी शुरू
पारिवारिक आमदनी के बारे में गलत जानकारी देने के कारण इस अधिकारी का नॉन-क्रीमी लेयर वाला सर्टिफिकेट अमान्य घोषित कर दिया गया है। इस सर्टिफिकेट के जरिए उसने जो रैंक हासिल किया है, वह उससे हटा दिया जाएगा। साथ ही, एप्लिकेशन में गलत और झूठी जानकारी देने के लिए उसके खिलाफ आपराधिक जांच कार्यवाही भी शुरू होगी। इस मामले की जानकारी इस साल जुलाई में सामने आई। दोषी साबित होने पर इस अधिकारी की सेवा समाप्त की जा सकती है।