सार
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास में इस साल छात्रों की मौत का यह चौथा मामला है। शुक्रवार को इंजीनियरिंग के छात्र का शव हॉस्टल के कमरे में मिला। पुलिस छानबीन में जुटी हुई है। छात्र महाराष्ट्र का रहने वाला था।
करियर डेस्क : इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मद्रास (IIT Madras) में उस वक्त हैरान कर देने वाला मामला सामने आया, जब बीटेक 2nd ईयर के एक स्टूडेंट का शव हॉस्टल के कमरे में लटकता मिला। घटना शुक्रवार की है, महाराष्ट्र का रहने वाला छात्र आईआईटी मद्रास से केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था। इसकी खबर लगते ही हर तरफ सनसनी सी फैल गई। पुलिस ने बॉडी को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है। प्रथम दृष्टया पुलिस इसे सुसाइड का केस मान रही है। मामले की जांच चल रही है। बता दें कि इस तरह का यह कोई पहला मामला नहीं है, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, IIT मद्रास में इस साल इस तरह की मौत का यह चौथा केस है।
2023 का पहला केस
14 फरवरी को IIT मद्रास में महाराष्ट्र के ही रहने वाले एक रिसर्च स्कॉलर स्टीफन सनी ने सुसाइड कर लिया था। उसकी उम्र 24 साल बताई जा रही थी। यहां से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग कर रहा था। सनी का शव हॉस्टल के कमरे में फांसी से लटका मिला था। पुलिस को शव के पास से एक नोट मिला था, जिसपर 'don’t prosecute' यानी 'मुकदमा न करें' लिखा था।
इस साल का दूसरा केस
इससे पहले 14 मार्च को भी मद्रास IIT कैंपस में बीटेक थर्ड ईयर के एक स्टूडेंट पुष्पक का शव फांसी के फंदे से झूलता मिला था। 20 साल का पुष्पक आंध्र प्रदेश का रहने वाला था और पुलिस जांच में सामने आया कि वह पढ़ाई में फोकस नहीं कर पा रहा था, जिसकी वजह से परेशान होकर यह कदम उठाया।
2023 का तीसरा केस
अब 20 दिन पहले ही 2 अप्रैल को IIT मद्रास में PhD के स्टूडेंट ने तमिलनाडु के वेलाचेरी में सुसाइड कर लिया था। वह वेस्ट बंगाल का रहने वाला था। उसकी उम्र 32 सा थी और नाम सचिन कुमार जैन...सुसाइड के एक दिन पहले ही 31 मार्च को उसने वाट्सएप स्टेटस पर लिखा था- 'I'm sorry not good enough' मतलब 'मुझे माफ कर देना, मैं किसी लायक नहीं हूं।'
हर साल एवरेज 3 स्टूडेंट्स की मौत
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आईआईटी मद्रास में पिछले चार साल में यानी 2018 के बाद से इस तरह का यह 12वां केस है। इसका मतलब भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास में हर साल एवरेज 3 स्टूडेंट्स की मौत सुसाइड की वजह से हो रही है। हालांकि ये आंकड़े आधिकारिक नहीं हैं। लेकिन छात्रों का इस तरह सुसाइड करना चिंता का विषय बन गया है।
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