बच्चों को पढ़ने के लिए प्रेरित करने के आसान तरीके
बच्चों को खेलना बहुत पसंद होता है। लेकिन खेलने में मग्न होकर वे पढ़ाई को नज़रअंदाज़ कर देते हैं। इसलिए माता-पिता अक्सर उन्हें पढ़ने के लिए डाँटते हैं। आइए जानते हैं कि बच्चों को पढ़ाने के लिए माता-पिता क्या कर सकते हैं।
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हर माता-पिता अपने बच्चों के लिए कड़ी मेहनत करते हैं और उनका भविष्य बेहतर बनाने के लिए प्रयास करते हैं। लेकिन बच्चों की कुछ हरकतें माता-पिता को परेशान करती हैं, जिससे वे उन्हें डाँटते या मारते हैं, खासकर पढ़ाई के मामले में।
आजकल बच्चे फोन के आदी हो गए हैं, वीडियो देखते और ऑनलाइन गेम खेलते रहते हैं। खेलकूद में भी व्यस्त रहते हैं। इससे माता-पिता चिंतित होते हैं कि कहीं पढ़ाई प्रभावित न हो। कई बच्चे फ़ोन के कारण पढ़ाई पर ध्यान नहीं देते।
यह आदत छुड़ाना माता-पिता की ज़िम्मेदारी है। बच्चे पढ़ें और सफल बनें, इसलिए माता-पिता उन्हें पढ़ने के लिए मजबूर करते, डाँटते और मारते हैं। लेकिन इससे बच्चे नहीं पढ़ेंगे। डाँटने-मारने से बच्चे ज़िद्दी हो जाते हैं। आइए जानें, बच्चों को पढ़ाने के लिए क्या करें।
बच्चों को पढ़ाने के तरीके
बच्चे बड़ों जैसे नहीं होते। उन्हें कोई दुख नहीं होता, इसलिए वे हमेशा खुश रहते हैं और वर्तमान का आनंद लेते हैं। वे खेलों में व्यस्त रहते हैं, जो ठीक नहीं। अगर आप बच्चों में पढ़ाई के प्रति रुचि जगाना चाहते हैं, तो उनसे प्यार से बात करें।
आजकल ज़्यादातर माता-पिता पढ़े-लिखे हैं, इसलिए बच्चों से पहले आपको पढ़ाई में रुचि दिखानी होगी। बच्चों के पढ़ने का समय तय करें और उस समय आप भी उनके साथ बैठकर पढ़ें। इससे बच्चे भी पढ़ेंगे।
पढ़ाई के लिए एक तरीका है: पहले पढ़ो, फिर खेलने जाना। या फिर मज़ाक में कहें, "पढ़ो, नहीं तो खेलने नहीं जाने दूँगा।" थोड़ी देर खेलने और फिर पढ़ने को कहें। हो सके तो बच्चों को खुद पढ़ाएँ (होम स्कूलिंग)।
बच्चों की पढ़ाई के लिए समय और उचित माहौल दें। अगर घर का माहौल ठीक नहीं, तो उनके लिए अलग जगह बनाएँ। इससे बच्चों में पढ़ाई की रुचि बढ़ेगी।
सिर्फ़ पढ़ाई ही काफ़ी नहीं। पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों को पाठ्येतर गतिविधियों में भी शामिल करें। कई बच्चों को खेल पसंद होते हैं, उनकी रुचि जानकर उन्हें प्रोत्साहित करें।
सामाजिक मुद्दों पर भी बच्चों को जागरूक करें। कई माता-पिता बच्चों को सिर्फ़ किताबी कीड़ा बनाना चाहते हैं, जिससे उन्हें समाज के बारे में कुछ पता नहीं चलता। इन तरीकों के बाद भी अगर बच्चे पढ़ाई में रुचि नहीं लेते, तो देखें कि क्या वे तनाव में हैं। उन पर नज़र रखें।