सार

Kesari Chapter 2 में अक्षय कुमार, सी. शंकरन नायर का किरदार निभा रहे हैं, जिन्होंने जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद ब्रिटिश सरकार को लंदन की अदालत में चुनौती दी थी। जानिए कौन थे सी. शंकरन नायर और जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद उन्होंने क्या किया था।

Who Was C Sankaran Nair: अक्षय कुमार एक बार फिर बड़े पर्दे पर एक ऐतिहासिक किरदार में नजर आने वाले हैं। इस बार वो 'केसरी चैप्टर-2' में सी. शंकरन नायर की भूमिका निभा रहे हैं, जो 18 अप्रैल को सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है। फिल्म की कहानी एक सच्ची घटना पर आधारित है, जिसे नायर के परपोते रघु पलत और उनकी पत्नी पुष्पा पलत ने अपनी किताब ‘The Case That Shook the Empire’ में बयां किया है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सी. शंकरन नायर का जिक्र करते हुए उन्हें याद किया। अब सवाल ये उठता है कि आखिर सी. शंकरन नायर कौन? उनका जलियांवाला बाग हत्याकांड से क्या नाता था? और कांग्रेस से उनके रिश्ते कैसे थे? जानिए bl महान वकील, राजनेता और देशभक्त के बारे में।

सी. शंकरन नायर कौन थे? (Who Was C Sankaran Nair)

सी. शंकरन नायर का जन्म केरल के एक जमींदार परिवार में हुआ था। उनके पिता मम्माइल रामुन्नी पणिकर ब्रिटिश शासन में तहसीलदार थे। शंकरन नायर ने मद्रास लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई की और अपनी शानदार वकालत के लिए प्रसिद्ध हुए। बाद में वह राज्य के एडवोकेट जनरल और मद्रास हाई कोर्ट के जज भी बने।

सी. शंकरन नायर का कांग्रेस में कद

शंकरन नायर का कांग्रेस से गहरा जुड़ाव था। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में भारतीय स्वशासन की मांग उठाई। 1900 में वह मद्रास विधान परिषद के सदस्य बने और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लिया। उनका कद कांग्रेस में लगातार बढ़ा और वह भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में अहम भूमिका निभाते रहे।

जलियांवाला बाग नरसंहार और सी. शंकरन नायर का संघर्ष

13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग में ब्रिटिश जनरल डायर ने निहत्थे भारतीयों पर गोलियां चलवाकर हजारों की संख्या में लोगों को मार डाला। इस घटना ने नायर के मन में ब्रिटिश शासन के खिलाफ आग लगा दी। जब ब्रिटिश शासन ने इस नरसंहार के दोषी जनरल डायर का बचाव किया, तो नायर ने इसका विरोध किया और ब्रिटिश न्याय व्यवस्था के खिलाफ कोर्ट में मुकदमा दायर किया।

लंदन में मुकदमा और नायर का साहस

नायर ने लंदन में हुए मुकदमे में ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपने संघर्ष को जारी रखा। 12 सदस्यीय ज्यूरी ने नायर के खिलाफ फैसला सुनाया, लेकिन नायर ने 500 पाउंड का जुर्माना भरने का निर्णय लिया और कभी भी माफी नहीं मांगी। इस मुकदमे ने ब्रिटिश शासन के भेदभावपूर्ण रवैये को उजागर किया और भारतीयों के लिए न्याय की बात की।

प्रधानमंत्री मोदी ने भी किया सी. शंकरन नायर का जिक्र

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि सी. शंकरन नायर जैसे राष्ट्रवादी नेता को कांग्रेस ने सिर्फ इसलिए किनारे किया, क्योंकि उनकी सोच पार्टी के नैरेटिव में फिट नहीं आती थी। मोदी ने यह भी कहा कि हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और पंजाब के बच्चों को शंकरन नायर के बारे में जानना चाहिए।

सी. शंकरन नायर का योगदान और उनकी विरासत

सी. शंकरन नायर का संघर्ष सिर्फ कानूनी ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीयता और न्याय के लिए भी था। 1934 में उनका निधन हुआ, लेकिन उनका योगदान भारतीय राजनीति और स्वतंत्रता संग्राम में हमेशा याद किया जाएगा।