सार
बढ़ती हुई बिजली की खपत को कम करने और डीजल के दाम में हो रही बढ़ोतरी से लोगों को राहत दिलाने के लिए आईआईटी विभाग में हाइड्रोजन से बिजली बनाई जा रही है। ये कमाल केमिकल इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राजेश कुमार और उनकी टीम ने कर दिखाया है।
करियर डेस्क. आईआईटी बीएचयू (IIT BHU) के शोधकर्ताओं ने हाइड्रोजन से बिजली बनाने की दिशा में बड़ी सफलता हासिल की है। रिसर्चर ने मेथनॉल से अल्ट्रा-शुद्ध हाइड्रोजन उत्पादन के लिए मेंबरेन रिफॉर्मर टेक्नॉलोजी पर आधारित एक वर्किंग मॉडल विकसित किया है, जिससे बिजली की बचत तो होगी ही, इसके साथ ही मोबाइल टावर में इस्तेमाल होने वाली डीजल की खपत में भी कमी आएगी।
बढ़ती हुई बिजली की खपत को कम करने और डीजल के दाम में हो रही बढ़ोतरी से लोगों को राहत दिलाने के लिए आईआईटी विभाग में हाइड्रोजन से बिजली बनाई जा रही है। ये कमाल केमिकल इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राजेश कुमार और उनकी टीम ने कर दिखाया है।
भारत में पहली बार विकसित हुआ प्रोटोटाइप
भारत में पहली बार विकसित प्रोटोटाइप बनाया है। पूरी दुनिया में फिलहाल इस तरह की कोई भी उपलब्धि मौजूद नहीं है। शोधकर्ताओं ने 13 लीटर हाइड्रोजन से एक किलोवाट बिजली बनाने में सफलता हासिल की है। इसके साथ ही आगे के दिनों में डीजल से चलने वाले जितने भी मोबाइल टावर लगाए गए हैं, उनके लिए भी बिजली बनाने का काम किया जा रहा है। जिससे आने वाले दिनों में डीजल के बढ़ते दामों से लोगों को राहत मिल सकेगी।
PM मोदी के सपने को करता है सार्थक
आईआईटी बीएचयू (IIT BHU) के इस इनोवेशन से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के 'नेशनल हाड्रोजन मिशन' का सपना सार्थक साबित हो रहा है। साथ ही बिजली की बढ़ती हुई डिमांड को भी कम करने में सहायक साबित हो रहा है। वहीं, IIT के निदेशक प्रोफेसर प्रमोद कुमार जैन ने कहा कि मेंबरेन रिफार्मर तकनीक पर बेस्ड प्रोटोटाइप यूनिट पीएम नरेंद्र मोदी की ‘मेक इन इंडिया’ और ’आत्मनिर्भर भारत’ की पहल को भी बढ़ावा देती है।