सार

फिनोलेक्स ग्रुप के संस्थापक स्वर्गीय श्री प्रल्हाद पी. छाबरिया पर बनी फिल्म प्रल्हाद हर आम आदमी को एक नई उम्मीद देती है, उम्मीद कुछ करने की, कुछ बनने की, और ईमानदारी से लोगों की सेवा की।

एंटरटेनमेंट डेस्क. हर कहानी कुछ कहती है, कुछ सीख देती है। 1 सितम्बर 2022 को यूट्यूब पर लॉन्च हुई शॉर्ट फिल्म 'प्रल्हाद' भी आपको बहुत कुछ सिखा सकती है। जीवन की राह में चाहे कितनी भी परेशानी आये, कितनी ही ठोकरे लगे, लेकिन आपको रुकना नहीं है। ठोकर खाकर भी उठना है और पूरे जोश जूनून से आगे बढ़ना है। फिनोलेक्स ग्रुप के संस्थापक स्वर्गीय श्री प्रल्हाद पी. छाबरिया पर बनी फिल्म प्रल्हाद हर आम आदमी को एक नई उम्मीद देती है, उम्मीद कुछ करने की, कुछ बनने की, और ईमानदारी से लोगों की सेवा की। यूट्यूब चैनल हमारा मूवी पर रिलीज़ हुई ये फिल्म आपको ज़रूर देखनी चाहिए। 

आज़ादी से पहले के समय को दर्शाती फिल्म प्रल्हाद एक पीरियड फिल्म है, जो आपको हंसाएगी, रुलायेगी और साथ में बहुत कुछ सिखाएगी। Schbang Motion Pictures के प्रोडक्शन में बनी इस फिल्म को दर्शकों के सामने बड़ी ही खूबसूरती से पेश किया गया है। फिल्म की सिनेमेटोग्राफी इतनी अच्छी है कि आप 1945 के दौर को बड़ी नज़दीक से महसूस कर पाएंगे। फिल्म फिनोलेक्स इंडस्ट्रीज के मालिक स्वर्गीय श्री प्रल्हाद पी. छाबरिया की किशोरावस्था की कहानी है, कैसे वो महज़ 14 वर्ष की उम्र में अनेक कठिनाइयों के बावजूद 10 रुपए से अपना काम शुरू करते है और मेहनत और लगन से 10 हज़ार करोड़ का एम्पायर खड़ा करते है, ये सभी चीज़े आपको 30 मिनट की इस शॉर्ट फिल्म में देखने को मिलेगी।

फिल्म में प्रल्हाद छाबरिया के किरदार को लाखों में एक फेम ऋत्विक सहोर ने बड़ी ही खूबसूरती से निभाया है। ऋत्विक के अलावा अन्नपूर्णा सोनी, मनोज जोशी, भार्गवी चिरमुले, आबिद शमीम और चिनमय दास ने भी अपने किरदार को बखूबी पेश किया है। प्रल्हाद छाबरिया की आत्मकथा 'There’s No Such Thing as a Self-Made Man' से रूपांतरित की गयी इस फिल्म को जगह से सराहना और सम्मान मिल रहा है। अबतक प्रल्हाद फिल्म को नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर 22 पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, जिसमें Prague International Film Festival, लंदन फिल्म एंड टेलीविजन फेस्टिवल और मॉस्को इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल जैसे बड़े शोज के नाम शामिल है। 

फिल्म प्रल्हाद सभी आंत्रेप्रेन्योर्स के लिए एक उम्मीद की किरण के रूप में देखी जा सकती है। इससे लोगों को ये सन्देश मिलता है कि किसी भी काम को 'मानवता' और 'दया' की भावना के साथ भी किया जा सकता है। फिल्म उन सभी मूल्यों को दर्शाती है जो फिनोलेक्स समूह और भारतीय औद्योगीकरण में होनी चाहिए ताकि भारत तरक्की कर सके। 

फिल्म पर अपनी भावना व्यक्त करते हुए स्वर्गीय श्री प्रल्हाद छाबरिया के पुत्र श्री प्रकाश पी. छाबरिया ने कहा "मुझे उम्मीद है कि यह फिल्म इंडियन आंत्रेप्रेन्योर्स को बिज़नेस शुरू करने के लिए प्रेरित करेगी। फिनोलेक्स के  संस्थापक श्री प्रल्हाद पी. छाबरिया इसका प्रमाण हैं कि हर व्यक्ति सफल हो सकता है। यह फिल्म इस मेसेज को बहुत ही प्यारे ढंग से दर्शाती है।"

फिनोलेक्स ग्रुप के संस्थापक श्री प्रल्हाद पी. छाबरिया कौन थे?
स्वर्गीय श्री प्रल्हाद छाबरिया अपने समय के सबसे उल्लेखनीय परोपकारी लोगों में से एक थे। उन्होंने आज़ादी के दशकों में पिता की मृत्यु के बाद घर की ज़िम्मेदारी उठाई थी। जेब में 10 रुपए लेकर उन्होंने सच्चाई और मेहनत से फिनोलेक्स की नीव रखी, जो आज 10 हज़ार करोड़ रुपए की कंपनी है। श्री प्रल्हाद छाबरिया ने वंचितों के लिए चिकित्सा सहायता, शिक्षा और सामाजिक कल्याण के लिए मुकुल माधव फाउंडेशन एंड होप फाउंडेशन और रिसर्च सेंटर की स्थापना की। उन्होंने रत्नागिरी में मुकुल माधव विद्यालय और रत्नागिरी में इंजीनियरिंग संस्थानों फिनोलेक्स एकेडमी ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी और हिंजवाड़ी, पुणे, महाराष्ट्र में अंतर्राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान की भी स्थापना की है। फिनोलेक्स भारत के गांव और शहरों में उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण उत्पाद प्रदान करता है। इनके उत्पाद भारत के कृषि प्रयासों, प्लंबिंग और स्वच्छता में अहम भूमिका निभाते है। प्रल्हाद पी. छाबरिया की मेहनत और अच्छे व्यवहार के कारण फिनोलेक्स को भारतीय उद्योग में सबसे सम्मानित नामों में से माना जाता है। इस कंपनी से 900 से अधिक डीलर और 21,000 रिटेल टच पॉइंट्स और लाखों उपभोक्ता जुड़े हुए है।