सार

मुंबई के बांद्रा में 49 साल पुराना मोहम्मद रफी का घर 'रफी मैशन्स' खतरे में नजर आ रहा है। इसका निर्माण 1970 में किया गया था। रफी के बेटे शाहिद अपने पैतृक आवास को बचाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं।

मुंबई. मुंबई के बांद्रा में 49 साल पुराना मोहम्मद रफी का घर 'रफी मैशन्स' खतरे में नजर आ रहा है। इसका निर्माण 1970 में किया गया था। रफी के बेटे शाहिद अपने पैतृक आवास को बचाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो एक बैंक के द्वारा इमारत की पांचवी मंजिल पर स्थित फ्लैट पर कब्जा मांगा है। बैंक दावा कर रहा है कि रफी के बेटे शाहिद ने निंबस इंडस्ट्रीज नाम की कंपनी के साथ फ्लैट बेचने की डील की थी। इस कंपनी ने फ्लैट खरीदने के लिए 4.16 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था। 

बैंक को कंपनी नहीं कर पाई पैसे वापस?

मीडिया रिपोर्ट्स मानें तो जब निंबस इंडस्ट्रीज पैसे वापस नहीं कर पाई तो बैंक ने कोर्ट में संपत्ति पर दावा ठोंका है। वहीं, अगर शाहिद का पक्ष देखें तो वह एक पूरी तरह से अलग बात बता रहे हैं। उनका कहना है कि उन्होंने प्रॉपर्टी बेची नहीं थी बल्कि कुछ वक्त के लिए समझौता किया था। शाहिद ने कहा कि फ्लैट की कीमत 5 करोड़ रु. है और वह निंबस को अपनी प्रॉपर्टी बेचना नहीं चाहते थे बल्कि कुछ पैसों की जरूरत के चलते समझौते पर देना चाहते थे।

शाहिद ने कोर्ट से मांगी मदद

शाहिद का कहना है कि कंपनी ने जितने पैसे देने के लिए कहा था उतने दिए ही नहीं। इसी वजह से समझौता निभाया ही नहीं गया। रफी के बेटे ने कोर्ट से भी इस मामले में मदद मांगी लेकिन कोर्ट ने ये कहते हुए किसी भी तरह की मदद करने से इनकार कर दिया कि डील कैंसिल कर दी गई है। इससे ये बात तो साफ है कि डील हुई थी। हालांकि डेट रिकवरी ट्राइब्यूनल ने उन्हें स्टे दे दिया है।

इसी घर में रहते थे मोहम्मद रफी

खबरों की मानें तो शाहिद ने भावुक होकर बताया कि उनके नाम पर ये इकलौता घर है और इसके साथ उनकी ढेरों यादें जुड़ी हुई हैं। बता दें कि ये वही बंगला है जिसमें मोहम्मद रफी रहा करते थे। वहीं, बैंक का दावा है कि निंबस से समझौते में उन्हें सिर्फ 1.95 करोड़ रुपये मिले जबकि समझौते में 3.16 करोड़ रु. का जिक्र है। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि बैंक ने बताया कि निंबस के डायरेक्टर ने उनसे कोई भी चेक डिपॉजिट नहीं करने के लिए कहा था।