सार
समन मिलने के बाद छत्तीसगढ़ स्टेट डिवेलपमेंट कॉरपोरेशन के एमडी अरुण प्रसाद ने आयोग के सामने प्रस्तुत होकर अपनी सफाई दी थी लेकिन रिवेन्यू सेक्रेटरी नीलम नामदेव इक्का आयोग के सामने प्रस्तुत नहीं हुए थे। आदेश की अवहेलना पाए जाने पर आयोग ने अब उनके खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट का वारंट किया है।
जांजगीर चांपा (छत्तीसगढ़) : 'डीबी पावर लिमिटेड द्वारा छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के जांजागीर-चांपा (Janjgir Champa) जिले में अनुसूचित जनजाति के लोगों की जमीन धोखाधड़ी से हड़पने के आरोप में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने अब छत्तीसगढ़ के डिपार्टमेंट ऑफ रिवेन्यू सेक्रेटरी नीलम नामदेव इक्का (Neelam Namdev Ekka) के खिलाफ गिरफ्तारी का आदेश दिया है। आयोग ने छत्तीसगढ़ के पुलिस महानिदेशक अशोक जुनेजा को वारंट भेजकर रिवेन्यू सेक्रेटरी को गिरफ्तार कर आयोग के सामने पेश करने को कहा है। इससे पहले आयोग ने उन्हें समन जारी किया था, जिसके बाद उन्हें आयोग के सामनेअपनी बात रखनी थी, लेकिन समन जारी किए जाने के बाद भी वह आयोग के सामने उपस्थित नहीं हुए थे।
पहले भी जारी हो चुका है समन
आयोग ने 11 मार्च को 'डीबी पावर लिमिटेड' द्वारा वनवासियों की जमीन धोखाधड़ी से खरीदे जाने के मामले में छत्तीसगढ़ स्टेट डिवेलपमेंट कॉरपोरेशन के एमडी और रिवेन्यू सेक्रेटरी छत्तीसगढ़ को समन जारी कर आयोग के सामने 24 मार्च को प्रस्तुत होने के लिए कहा था। समन मिलने के बाद छत्तीसगढ़ स्टेट डिवेलपमेंट कॉरपोरेशन के एमडी अरुण प्रसाद ने आयोग के सामने प्रस्तुत होकर अपनी सफाई दी थी लेकिन रिवेन्यू सेक्रेटरी नीलम नामदेव इक्का आयोग के सामने प्रस्तुत नहीं हुए थे। आदेश की अवहेलना पाए जाने पर आयोग ने अब उनके खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट का वारंट किया है। जनजाति आयोग आयोग ने राज्य के पुलिस महानिदेशक को इस संबंध में कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।आयोग ने कहा है कि पुलिस महानिदेशक एक अप्रैल 2022 तक इस वारंट के जवाब में यह बताएं कि इस मामले में क्या कार्रवाई हुई।
क्या है पूरा मामला
पिछले साल जुलाई में इनकम टैक्स विभाग ने दैनिक भास्कर ग्रुप के कई कार्यालयों पर छापे मारे थे। छापेमारी में कई महत्वपूर्ण कागजात मिले थे। दैनिक भास्कर ग्रुप की एक और कंपनी है 'डी.बी.पावर लिमिटेड'। आरोप है कि भास्कर ने छत्तीसगढ़ के जांजागीर-चांपा जिले में इसका प्लांट लगाने के लिए अनुसूचित जनजाति समाज के लोगों की जमीन को धोखे से खरीदा है। इसके लिए पूरी योजना बनाकर काम किया गया। भास्कर ने पहले यहां के एक स्थानीय व्यक्ति को अपने यहां नौकरी पर रखा। उसने यहां 'डी.बी.पावर लिमिटेड' के लिए एजेंट का काम किया। पहले इसने सस्ते दामों में वनवासियों की जमीन खरीदी। इसके बाद जमीन 'डी.बी.पावर लिमिटेड' को बेच दी। इस बीच इसमें से काफी जमीन को पहले 'छत्तीसगढ़ स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कारपोरेशन' ने अधिग्रहित किया और फिर 'डीबी पावर लिमिटेड' को दे दिया।
डीएम और एसपी भी हो चुके हैं तलब
इस मामले में जांजागीर-चांपा जिले के डीएम और एसपी को भी आयोग पहले तलब कर चुका है। दोनों आयोग के सामने प्रस्तुत होकर अपनी बात रख चुके हैं। बता दें कि अनुसूचित जनजाति आयोग भारत के संविधान के अनुच्छेद 338 (क) के अनुसार एक स्वतंत्र संवैधानिक ईकाई है। इसके तहत आयोग को दीवानी न्यायालय के अधिकार प्राप्त है। आयोग को अधिकार है कि वह समन की तामील न होने पर संबंधित व्यक्ति के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी कर सकता है।