सार
तीन साल की उम्र आखिर क्या होती है? इस उम्र में बच्चे ठीक से दुनियादारी भी नहीं समझते, लेकिन यह बच्ची मजबूरी में चौका-चूल्हा संभाल रही है। जानिए आखिर गरीब घर की इस बच्ची की मजबूरी क्या है?
दंतेवाड़ा. यह तस्वीर देश में गरीबों की हालत बयां करती है। इस बच्ची की उम्र महज 3 साल है, लेकिन खेलने-कूदने और पढ़ने के दिनों में उसके कंधे पर जिम्मेदारियों का भी बोझ डाल दिया गया है। इस बच्ची का नाम है ज्योति। यह दंतेवाड़ा से करीब 38 किमी दूर कटेकल्याण के बेंगलूर गांव की रहने वाली है। इसके दादा बीमार थे। उसके पिता और वो उन्हें जिला हॉस्पिटल लाई थी। अचानक दादा को हॉस्पिटल में भर्ती कराना पड़ा। ज्योति का परिवार बेहद गरीब है। लिहाजा वे होटल से खाना नहीं मंगा सकते थे। ज्योति और उसका पिता हॉस्पिटल के बाहर ही दादा के ठीक होने का इंतजार करने लगे। वे तीन दिनों से पार्किंग के शेड में डेरा डाले हुए थे। हालांकि हॉस्पिटल की कैंटीन से मुफ्त खाना मिलता है, लेकिन यह सिर्फ मरीजों के लिए होता है। जब ज्योति के पिता चूल्हे पर सब्जी चढ़ाकर दादा को देखने वार्ड में गए, तब ज्योति को चूल्हा-चौका संभालना पड़ा। बताते हैं कि ज्योति गांव में भी ऐसी ही जिम्मेदारियां संभालती है।