सार

बगैर मुंह मीठा करे किसी भी खुशी का मजा अधूरा रह जाता है। खासकर, त्यौहारों का असली मजा तो मिठाइयों के साथ आता है। लेकिन शुगर के मरीज मन मारकर रह जाते हैं। वे मिठाइयां नहीं खा पाते। लेकिन छत्तीसगढ़ के कोरबा के वन विभाग ने संजीवनी मिठाइयां बनाई हैं। इन्हें न सिर्फ शुगर के मरीज खा सकते हैं, बल्कि यह कोरोना संक्रमण से भी बचाती हैं। यानी इम्यूनिटी बढ़ाती हैं।

कोरबा, छत्तीसगढ़. कोरोना ने त्यौहारों का मजा किरकिरा कर दिया है। कोरोना संक्रमण को रोकने यानी इम्यूनिटी बढ़ाने लोग न जाने कितनी प्रकार की चीजें खा रहे हैं, लेकिन यहां के वन विभाग ने ऐसी हर्बल मिठाइयां बनाई हैं, जो इम्यूनिटी बढ़ाती हैं। इन्हें संजीवनी केंद्र के जरिये बेचा जा रहा है। कहते हैं कि बगैर मुंह मीठा करे किसी भी खुशी का मजा अधूरा रह जाता है। खासकर, त्यौहारों का असली मजा तो मिठाइयों के साथ आता है। लेकिन शुगर के मरीज मन मारकर रह जाते हैं। वे मिठाइयां नहीं खा पाते। लेकिन शुगर के मरीज इन मिठाइयों को खा सकते हैं।

औषधीय मिठाइयां
इन टोकरियों में 200 से 2100 रुपए तक की हर्बल मिठाइयां और अन्य जड़ी-बूटियां हैं। ये शुगर, रक्तचाप से लेकर रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर करने में कारगर साबित हुई हैं। डीएफओ गुरुनाथन एन ने बताया कि कोरोना काल में इन औषधियों की काफी डिमांड बढ़ी है। वहीं, पिछले वर्ष एक लाख 92 हजार की बिक्री हुई थी। जबकि पिछले छह महीने में ही एक लाख 80 हजार रुपये की औषधि बिक गई है। इस संजीवनी केंद्र में करीब 110 प्रकार के हर्बल प्रोडक्ट्स मौजूद हैं।

हर्बल गाढ़ा की भी डिमांड
बता दें कि कोरबा जिले में दो प्रसंस्करण केंद्र (Processing center) हैं। इनमें कोरबा डीएफओ कार्यालय परिसर में चिरौंजी व कटघोरा वनमंडल में पाली से लगे डोंगानाला के प्रसंस्करण केंद्र में  करीब 15 हर्बल प्रोडक्ट्स तैयार होते हैं। इस समय हर्बल काढ़ा की विशेष डिमांड है। यह काढ़ा मुलेठी, तुलसी पत्ता, लौंग, सोंठ, दालचीनी, गिलोय के अर्क को मिलाकर बनाया जाता है। यह इम्यूनिटी बढ़ाता है।